सुरेश उरांव को किसने मार डाला?

सुरेश उरांव को किसने मार डाला?

जुलाई 7 को झारखण्ड से आने वाले ख़बरें इस प्रकार थी:

चतरा में विस्थापित नेता सुरेश उरांव को गोलियों से भूना डाला गया. सुरेश सीसीएल की पुरनाडीह परियोजना में कार्यरत थे. पिपरवार थाना क्षेत्र के कुसुम टोला के पास बाइक पर सवार होकर अपराधी आए और उन्हें गोली मार दी. पुलिस ने घटनास्थल से 7 खाली खोखा व 3 जिंदा गोली बरामद किए.

सुरेश उरांव को पांच गोली मारी गई. गुरुवार को वे कुसुम टोला के निकट एक गांव में सरनास्थल में आयोजित पूजा समारोह में शामिल होने गए थे. उसी दौरान दो मोटर साइकिलों पर सवार अपराधी आए और सुरेश को गोलियों से भून डाला. गोली मारकर मोटर साइकिल सवार घटनास्थल से भाग निकले.

विस्थापितों के नेता के रूप में पहचाने जाने वाले और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुरेश उरांव की राज्य के चतरा ज़िले के पिपरवार में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई है. गाँव वालों और पुलिस यह जांच कर रहें है : आखिर किसने इससे मार डाला?

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनके एरिया की पुरनाडीह परियोजना में कार्यरत सीसीएल कर्मी और विस्थापित नेता सुरेश उरांव की गुरुवार सुबह 10:30 बजे गोली मारकर हत्या कर दी गई.

वे सरना समाज की एक प्रार्थना सभा में शामिल होने गए थे. धार्मिक अनुष्ठान के बीच दो बाइक पर सवार होकर चार व्यक्ति आए और सुरेश से हाथ मिला कर प्रणाम किया. फिर उनमें से एक ने पिस्टल निकाल कर सुरेश को गोली मार दी.

घटनाक्रम को अंजाम देने के बाद सभी अपराधी जंगल के रास्ते भाग निकले.

घायल सुरेश को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

सुरेश के सिर में तीन और सीने में दो गोलियां लगीं.

सुरेश विस्थापितों के लिए नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे थे. वर्ष 2012 में पुरनाडीह परियोजना विस्तारीकरण के दौरान ग्रामीणों को गोलबंद कर उन्होंने सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था.

गौरतलब है कि सीसीएल ने 200 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी. कंपनी को 400 लोगों को नौकरी देनी थी, लेकिन मात्र 100 लोगों को ही नौकरी मिली थी. इस मुद्दे पर सुरेश उरांव ने आंदोलन का नेतृत्व किया था और विस्थापित नेता के रूप में उनका उभार हुआ था.

सुरेश और उनके साथ आंदोलन में शामिल रहे लोग उस जमीन के मालिक थे जिस पर सीसीएल ने पुरनाडीह कोयला खदान का निर्माण किया था. सुरेश सीसीएल के खिलाफ जमीन अधिग्रहण के इस मसले पर लगातार लड़ते रहे.

जब सीसीएल ने विरोध को दबाया तो सुरेश और ग्रामीणों ने नौकरी और मुआवजे के लिए लड़ाई शुरू कर दी. जब सीसीएल ने खदान का कचरा दामोदर नदी में ठिकाने लगाना शुरू कर दिया तो उन्होंने प्रबंधन को कोर्ट में घसीटा और जीत भी दर्ज की.

द टेलीग्राफ के अनुसार, टंडवा डीएसपी एहतसम वकार ने बताया, ‘मृतक सुरेंद्र सरना समिति की बैठक में सम्मिलित होने गए थे जब उन्हें निशाना बनाया. हम हत्या के पीछे के मकसद की पड़ताल कर रहे हैं. पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.’