शिक्षा का मंदिर या मंडी ?

शिक्षा का मंदिर या मंडी ?

महोदय,

जिस तरह एक पंक्षी  अपने पंख के बिना अधुरी होती है उसी तरह से एक विद्यार्थी शिक्षा के बिना अधुरा होता है और उसी आधुरे चीज़ को पूरा करने के लिए विभिन्न जगहों से आए हुए छात्र- छात्राए यहा इस शिक्षा संस्थाओं के फैलाए हुए जाल में आकर फस जाते हैं।

शहर के कई इलाकों में शिक्षा संस्थाओं का खुला बाजार है। जहां पर हर साल आसमान में उड़ने का ख्वाब देखनेवाले विद्यार्थी इस बाजार के फैलाए हुए जाल में आकर अपने सपनों के पंख को उनके हवाले कर देते हैं।

शहर में शिक्षा संस्थाओं का माहौल अब व्यापार में बदलता जा रहा हैं। हर एक संस्थाओं के बीच ज्यादा मात्रा में छात्राओं को अपने पास दाखिला कराने का होड़ बढ़ गया हैं। शहर में शिक्षा संस्थाओं के हालात पिंजरों में कैद पंक्षीओ के जैसा हैं। एक ही छ्त के नीचे सैकड़ो बच्चे पढ़ते हैं। जिससे ना ही विद्यार्थियों को पूरी विद्या का ज्ञान हो पाता है और ना ही पढ़ने की सुविधा मिल पाती हैं। इस शिक्षा के मंडी में बैठे हुए शिकारी बड़े ही मीठे-मीठे बातो से उन्हे अपने ओर बांध लेते है और फिर अपने झुठे वादे करके अपना शिकार बना लेते है। शहर के शिक्षा संस्थाओं की फीस के बारे में बात की जाए तो डेढ़ लाख रुपए के करीब हर विद्यार्थी को सालाना देना पड़ता है। जो किसी भी मध्य वर्ग के छात्राओं को ये फीस अदा करना मुश्किल होता है। ऐसे ही कुछ हालातो से झुलसते हुए हमारे शहर में शिक्षा का परिणाम बाकी शहरों के मुताबिक कमजोर होते जा रहा हैं।

अंततः संस्थाओं का व्यापार एक तरफ आसमान छु रहा हैं तो दूसरी ओर शहर के छात्राओं का परिणाम गिरता नजर आ रहा है।

 

 

सौरव कुमार सोनी

8 Responses to "शिक्षा का मंदिर या मंडी ?"

  1. Mohit Sharma   August 3, 2018 at 7:15 am

    Jinke naam bare unke paise bare or student ke sankhya itni ki baithne ki jagah nh……it is a wrong way to earn money

  2. मनमोहन कुमार उर्फ मन्टू शर्मा   August 2, 2018 at 9:08 pm

    बिल्कुल सत्य सर्वेक्षण आज विद्या का नाजायज व्यापार खूब हो रहा है यह किसी तरह बन्द होना चाहिए और शिक्षा सहज सुलभ होना चाहिए सभी के लिए ।

  3. Abhimanyu Rao   August 2, 2018 at 6:47 pm

    In name of scholarship they charge very high fees and in return they just give a certificate of no value. Our education system needs quality of education not quantity.

  4. Deepak singh   August 2, 2018 at 4:34 pm

    Bilkul shi boley..

  5. pragati   August 2, 2018 at 4:28 pm

    ??? shandar , kafi ache s apne apni baton ko दर्शाया है|?

  6. Aman Kumar Singh   August 2, 2018 at 3:52 pm

    Seriously now institutions are only making money through education

  7. Megha   August 2, 2018 at 3:42 pm

    Yaah it’s true.. in our city eduction system is very poor..

  8. Megha   August 2, 2018 at 3:40 pm

    Actually education system is like market.. there are so many shops (institute) and shopkeeper (their owner). There have fixed rate (tution fee) and we have to pay.. at any cost.. for studying..