पटना मेट्रो: विकास या बक्वास?

पटना मेट्रो: विकास या बक्वास?

काफी लंबे समय के इंतज़ार के बाद, पटना मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने 3 महीने में मेट्रो का काम शुरू करने का निर्णय लिया है।

नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने मुख्यमंत्री को पटना मेट्रो परियोजना से संबंधित अब तक की प्रगति से अवगत कराया है। हालांकि भारतीय योजना आयोग ने 8 साल पहले 2011 में ही इसका प्रस्ताव पारित कर दिया था।

आज पटना के लोगों से बातचीत करने पर पता चला की आम जनता मेट्रो का बेसब्री से इंतज़ार कर रही है। इस विषय पर मोहन, जिनकी बोरिंग रोड में चश्में की दुकान है, उनका कहना है कि किसी भी शहर में विकास के लिए मेट्रो का होना बहुत ज़रूरी है। साथ ही वो कहते हैं की ट्रैफ़िक से लोगों को निजात मिलेगी और निजी वाहनों के कम उपयोग से प्रदूषण पर भी नियंत्रण मिलेगा।

मोहन कहते हैं की पटना शहर को भी बाकी विकसित शहरों की तरह समय के साथ चलने की जरूरत है।

वहीं सुनीता देवी जिनकी बोरिंग रोड में ही कपड़े की दुकान है, उनका कहना है की ट्रैफ़िक की वजह से समय पर ना पहुँचने के कारण ट्रेन भी कभी-कभी छूट जाती है। साथ ही वो कहती हैं कि काफी लड़कियां हैं जो जाम से घबराती हैं, उनके लिए मेट्रो सुविधाजनक साबित होगी।

पटना में मेट्रो पर जल्द काम शुरु होने की खबर से पटनावासी काफी उत्साहित हैं। उन्हें सरकार की तरफ से फिर एक बार आश्वासित किया गया है की पटना के ट्रैफ़िक से लोगों को जल्द ही राहत मिलेगी। पटना में अनीसाबाद, राजा बाज़ार, कुरजी मोड़, राजेंद्र नगर जैसे कई इलाके हैं जहां 5 मिनट का रास्ता लोग आधे-एक घंटे में तय करते हैं। जाम की वजह से स्कूल और कॉलेज विलंब से पहुँचने पर छात्रों को उस दिन की हाजिरी नहीं मिलती। पटना में कई ऐसे दफ्तर हैं जहां अगर आप विलंब से पहुँचे तो उस दिन की तनख़्वाह भी काट ली जाती है। मेट्रो ऐसे लोगों के लिए मेट्रो वरदान साबित हो सकता है। 

शांति अपार्टमेंट्स बोरिंग रोड के सामने काम करते हुए एक इस्तरी मास्टर ने कहा, “ऐसे विकास जो गरीबों का रोज की रोटी और बसेरा छीन लेता है, बक्वास है । इसका रेल प्लान झोपर पट्टी को उखार फेंक देगा। यह मेट्रो रेल महंगा होगा, सिर्फ अमीरों के लिए एक सुवीधा होगा । पटना का यातायात सुधारने वाला नहीं है, मेट्रो आए या नहीं आए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इसी साल जारी की गयी “दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों” की सूची में पटना पांचवे पायदान पे खरा है। कोई हैरत की बात नहीं है की इसका कारण औद्योगिक कचरे के साथ-साथ पटना के सड़कों पे दौर रही  पेट्रोल ओर डीजल से चलने वाली सार्वजनिक और निजी वाहन भी हैं। अब मेट्रो के आने से कौन से प्रभाव और कौन से दुष्प्रभाव होंगे ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।  
तान्या त्रिवेदी, आस्था कश्यप, प्रीति दयाल