क्या जुर्माने से सुधरेगी यातायात व्यवस्था?

क्या जुर्माने से सुधरेगी यातायात व्यवस्था?

सड़क दुर्घटना एक चिंतनीय विषय बन गया है। सड़क दुर्घटना पर लगाम लगाने कि मकसद से सरकार ने एक अहम कदम उठाया है जो लोगों के लिए सख्त लेकिन हित मे हैं।

कुछ दिन पहले ही सरकार ने मोटर यान अधिनियम बिल लोकसभा में पेश किया गया था, लोकसभा के साथ–साथ राज्यसभा मे भी इसकी मंजूरी मिल गई हैं, हर क्षेत्र को ध्यान मे रखते हुये तथा सुरक्षा को देखते हुये यह बिल पास किया गया हैं। सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए एक सख्त कदम उठाए हैं जो की बहुत हितकर होगी लोगों के लिए, जिसमे शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओभरलोडिंग, ओभारस्पीड, बिना हेलमेट, लाइसेंस, नाबालिक इसके साथ कलपुर्ज़े बनाने वाली कंपनी तथा ठेकेदार के लिए भी दंड एवं जुर्माना तय किया गया है।

इस संदर्भ मे लोगों ने अपने अपने विचार वयक्त किए- संजीव कुमार सिंह (शिक्षक) का कहना हैं की सरकार ने समाज के एक अहम मुद्दादा पर नज़र डाला है। दुनिया मे सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना से मौत भारत मे होती हैं, आगे वह जोड़ते हुये कहते है कि “हम सभी जानते है की बिना हेलमेट, ओवरलोड, ओवरस्पीड, ड्रिंक& ड्राइव कितना खतरनाक है हमारे जिंदगी के लिए फिर भी लोग चलाते हैं”। इसलिए हमे सरकार कि मदद करना चाहिए नियमों का पालन कर के।

वहीं ऋषभ राठौर (नाबालिक) का कहना हैं कि दंड कि राशि बढ़ाने से पुलिसकर्मी को फायदा होगा, भागने वाले बच कर निकाल ही जाएँगे और जिसे पुलिसकर्मी पकड़ेंगे उससे पैसा लेकर छोर देंगे, इससे भष्ट्राचार बढ़ेगा।

नाबालिक मोटरबाइक चलाने वाले बच्चों का कहना है कि- जरूरी नहीं कि दंड और पैसे बढ़ाने से लोग नियमों का पालन करे ही, नियन मानने वाले पहले भी मानते थे और अब भी मानेगे और नही मानने वाले कितना भी नियम बन जाये उसमे कितनी भी बदलाओ आ जाये वो नहीं ही मानेंगे।   

दूसरी तरफ महिलाएँ इससे बेहत खुश हैं, उनका मानना है कि सरकार ने सही कदम उठाया है, साख्ता और करे दंड के इस नियम को बहुत पहले लागू करना चाहिए था। इस बिल के बाद माता- पिता बच्चों को गाड़ी देने से पहले सोचेंगे और बच्चो को समझाएँगे जो कि बच्चों के ही हित मे हैं।

 हमे इस मोटरयान अधिनियम कि गहराई से समझना चाहिए और खासकर नाबालिक को समझना चाहिए जो निडर हो कर सड़क पर गाड़ी चलाते हैं, सड़क सुरक्षा के नियम बताने चाहिए और हमें सरकार के द्वारा बनाए गए नियमो को पालन कर के मदद करनी चाहिए।

नेहा निधि