भारत में प्राचीन काल से समय मापने के लिए हिन्दू कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 12 महीने होते है जिसमे श्रावण पांचवे स्थान पर आता है| इसी महीने से वर्षा ऋतु प्रारम्भ होती है।
शिव जी को श्रावण का देवता कहा जाता है| श्रावण के पूरे माह में धार्मिक उत्सव का माहौल रहता है| इस माह मे महिलाएं सोमवार को सूर्योदय के पूर्व स्नान करती है और उपवास रखती है| कुंवारी कन्या अच्छे वर के लिए इस माह के सोमवारी का उपवास रखती है एवं शिव जी की पूजा करती है|
श्रावण में कावड़ यात्रा का बहुत अधिक महत्व है (कावड़ एक बाँस का बना होता है जिसमे दोनों तरफ छोटी सी मटकी होती है,उसमे जल भरा होता है और बाँस को फूलो एवं घुंघरूओ से सजाया जाता है)। इसमे लोग भगवा वस्त्र धारण करके गंगा जल को कावड़ में बाँधकर “बोल बम” का नारा लगाते हुए पैदल चलकर शिवलिंग पर जल अर्पण करते है|पुराणो के अनुसार सबसे पहले रावण ने कावड़ यात्रा की थी एवं भगवान राम ने भी कावड़ यात्रा करके शिवलिंग पर जल चढ़ाया था|
श्रावण माह में सबसे ज्यादा बिक्री भगवा वस्त्र का होता है| इसे पहन कर कवाड़िया कावड़ यात्रा करते है| कावड़ बनाने के लिए लोटे, घुंघुरू, माला, पीतल का साप, फल की अत्यधिक बिक्री होती है|
श्रावण माह में दूध, दही, शहद, घी और शक्कर इन पाँच चीज़ों की ख़रीदारी भी बहुत होती है। इन पाँच चीज़ों को मिलकर पंचामृत बनाया जाता है और इसी से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है । पुनः जल से स्नान करा कर शुद्ध किया जाता है|
श्रावण में प्रसाद बनाने के लिए चूड़ा, अखरोट, पेड़ा, नारियल इनकी ख़रीदारी होती है| श्रावण में पूजा करने के लिए मदार का फूल, बेलपत्र, धतूर का फूल, भांग, धतूर, चाँदनी का फूल भी लोग खरीदते है|
मधुकर
न्यूज़नेट इनटर्न