केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार 19 सितंबर को तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। मोदी कैबिनेट ने एनडीए सरकार की तरफ से पहली बार करीब दस महीने पहले सदन में बिल लाने के बाद इस पर अध्यादेश लाकर उसे मंजूरी दी है।
तीन तलाक वह इस्लामी प्रथा है जिसमें मुस्लिम पुरूष तीन बार तलाक बोलकर महिला को तलाक दे देता था। जिसे पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था।उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष इस प्रथा पर रोक लगा दी थी। यह प्रथा अब भी जारी है इसलिए इसे दंडनीय अपराध बनाने की खातिर विधेयक लाया गया।
‘मुस्लिम महिला विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन यह राज्यसभा में लंबित है। वहां पर सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है।
कांग्रेस समेत अन्य दलों ने संसद में विधेयक में संशोधन की मांग की थी। हालांकि संशोधन के बावजूद यह विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया था। यह अध्यादेश छह महीने तक लागू रहेगा। इस दौरान सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा।
स्थानीय समाचारो के अनुसार कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने केन्द्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी तीन तलाक बिल को फुटबॉल बनाना चाहती है। मोदी सरकार सही मायने में नहीं चाहती है कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी।
वही कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा वोट-बैंक के दबाव में कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को समर्थन नहीं दिया। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी। तीन तलाक का यह मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि पुलिस तभी कार्रवाई करेगी जब खुद पीड़ित महिला या उसके परिजन शिकायत करेंगे।उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती को इस मुद्दे पर सरकार का साथ देना चाहिए।
तीन तलाक बिल राज्यसभा में दो सत्र से लंबित पड़ा हुआ है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इस पर अपना विरोध कर उसे राज्यसभा में पास होने से रोक दिया है।