कृषि विभाग ने बिहार के छ्ह जिलों (गया, सारण, सीवान, शेखपुरा, जमुई और सहरसा) को छोड़कर सभी जिलों की स्थिति का आकलन फिर से करा रही है; और इसकी रिपोर्ट आज (26 अक्टूबर) को जमा करने का निर्देश दिया है। बाकी के 32 जिलों में भेजे गये अलग-अलग अधिकारी को खेतों में दरार के साथ इस स्थिति का भी आकलन करना है कि उत्पादन 33 प्रतिशत से ज्यादा गिरने का अनुमान है या नहीं और कितने प्रतिशत रकबे में रोपनी हो चुकी है। जलस्तर की स्थिति का अकलन भी अधिकारियों को करना है। साथ ही विभाग ने उन्हें प्रोफार्मा दिया है। उसी में स्थिति की रिपोर्ट देनी है।
छ्ह जिले जो इस बार छोड़े गये हैं उनमें, सारण के 20, सीवान के 19, गया के 24, शेखपुरा के 6, जमुई के 10 और सहरसा के 10 प्रखंडों को पहले सूखा प्रभावित घोषित किया जा चुका है तथा आज रिपोर्ट जमा होने के बाद शाम में सचिव सुधीर कुमार विभाग के प्रधान उन अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। अगर स्थिति सूखे जैसी रही तो इस संबंध में नया प्रस्ताव राज्य सरकार को विभाग भेजेगा।
स्थानीय समाचारो मे अनुसार राज्य सरकार ने 23 जिलों के 206 प्रखंडों को 15 अक्टूबर को ही सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किये था। इन सभी प्रखंडों के किसानों को आपदा प्रबंधन के प्रवधानों के तहत सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही लोन और लगान आदि की वसूली भी स्थगित रहेगी। उसी दिन यह कहा गया था कि आकलन के बाद कुछ और प्रखंडों को इस श्रेणी में लाया जा सकता है। उसी निर्देश के तहत विभाग ने फिर से अकलन शुरू कराया है।
सितम्बर मे वर्षा की कमी 33 प्रतिशत रही और अक्टूबर में वर्षा की कमी 72 प्रतिशत हो गई। मुंगेर मे आज तक 203 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इसके अलावा इस महीने 8 जिलों में एक बूंद पानी नहीं हुआ। लिहाजा खेती की स्थिति खराब है और खेतों में दरारें पड़ गई हैं।