दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन तलाक के अध्यादेश को खिलाफ चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की खंडपीठ ने तीन तलाक से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार किया है।
स्थानीय खबरों के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव ने अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट की ओर से असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है और अब इस मुद्दे पर फैसला करना सरकार के हाथ में नही है।
19 सितंबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने तीन तलाक (इंस्टैंट ट्रिपल तलाक) पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक असहमति की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो पाया था।
9 अगस्त को मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक से जुड़े बिल में तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा। पीएम ने कहा था कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। सरकार इस फैसले से कई मुस्लिम महिलाओं समेत कई संगठनों ने समर्थन किया, हालांकि कुछ वर्ग इसके विरोध में अब भी है।