देश में बनी पहली हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (टी-18) को समय से चलाने के चक्कर में रोज कई ट्रेनें फंसती हैं। गाजियाबाद से प्रयागराज के बीच अप-डाउन में कम से कम 28-30 ट्रेनों का परिचालन इससे प्रभावित होता है। इनमें 16 मालगाड़ियों के साथ ही 12 मेमू, इंटरसिटी और एक्सप्रेस ट्रेनें हैं।
पिछले दिनों मवेशी टकराने, पत्थरबाजी और अन्य वजहों से वाराणसी से वापसी में वीआईपी ट्रेन लेट रही। देश की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन की लेटलतीफी की समीक्षा रेलवे बोर्ड में हुई तो इसको पटरी पर लाने का जिम्मा उत्तर मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे के परिचालन विभाग को सौंपा गया।
स्थानीय खबरों के अनुसार कानपुर मे यह गड़िया वंदे भारत की वजह से होती है प्रभावित इलाहाबाद इंटरसिटी, मगध, संगम व गुवाहाटी-आनंद विहार, कानपुर सेंट्रल से पास होने वाली छह मालगाड़ियां भी रोज रोक दी जाती हैं, अलीगढ़, खुर्जा, हाथरस से जाने-आने वाली हर मेमू प्रतिदिन रोकी जाती है
रेलवे परिचालन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ‘वंदे भारत’ एक्सप्रेस को अकारण कहीं रोका नहीं जा सकता है। इस कारण दूसरी ट्रेनों को लूप या सिक लाइन पर रोकते हैं। कई बार मालगाड़ी रोकी जाती है तो उसे निकलने का मौका ही नहीं मिलता और कई दिनों तक फंसी रहती है, क्योंकि वंदे भारत एक्सप्रेस सप्ताह में पांच दिन रविवार, मंगलवार, बुधवार, शुकवार और शनिवार को चलती है और दो दिन वंदे भारत एक्सप्रेस नहीं चलती है इसलिए इन मालगाड़ियों को सोमवार या गुरुवार को चलवाया जाता है
वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ 15 फरवरी को प्रधानमंत्री ने दिल्ली किया था। यह देश में बनी पहली हाईस्पीड ट्रेन है जिसके कारण कई ट्रेन फंस रही है और इसका असर लगभग 20 हजार यात्रियों पर पड़ रहा है।