इस लोकसभा मे अब तक की सबसे ज्यादा 78 महिला सांसद चुनी गई है। उनमे से ही एक है, ओड़ीसा की प्रमिला बिसोई जो कभी आंगनवाड़ी मे रसोइया का काम करती थी, फिर उन्होने बड़े पैमाने पर महिलाओं को स्वरोजगार मे सहायता की और अब 17वीं लोकसभा में सांसद चुनी गई है।
70 वर्षीय प्रमिला बिसोई को स्थानीय लोग प्यार से ‘परी माँ’ कहते है, वह बीजू जनता दल (बीजेडी ) के टिकट पर ओड़िशा की अस्का लोकसभा सीट से चुनाव जीती है। उनकी जीत का अंतर दो लाख से अधिक वोटों का था।
पाँच साल की उम्र मे शादी होने के कारण वे पढ़ाई नही कर पायी और इसके बाद गाँव के आंगनवाड़ी मे रसोइया का काम करने लगी , फिर उन्होने गाँव मे ही एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की और उन्हे सफलता भी मिली। वह ओड़िशा के महिला स्वयं समूह के ‘मिशन शक्ति’ की प्रतिनिधि बन गई।
प्रमिला बिसोई को बीजेडी सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना का चेहरा बना दिया और उस योजना से 70 लाख महिलाओं को फायदा मिला।
मार्च में प्रमिला बिसोई की उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था।“यह मिशन शक्ति से जुड़ी लाखो महिलाओं के लिए एक उपहार है”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रमिला के पति चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी थे। उनके बड़ा बेटा चाय की दुकान चलाता हैं और छोटा बेटा का गाड़ियों की रिपेयरिंग का दुकान है। परिवार एक टिन की छत वाले एक घर में रहता है।
उनके पड़ोसी जगन्नाथ गौड़ा कहते हैं, “उन्होंने सिर्फ तीसरी क्लास तक पढ़ाई की है पर उन्होंने पास के गांवों में रहने वाली ग़रीब महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी है। वह 15 साल से सक्रिय समाजसेवा में हैं। गांव में उनके प्रयास से एक इको पार्क बना है। “
उनके बारे मे बताते हुये जगन्नाथ कहते हैं कि बहुत कम पढ़ाई करने के बावजूद प्रमिला सामयिक घटनाओं पर तुरंत गीत रचने का हुनर रखती हैं और महिलाओं को प्रेरित करने के लिए उन्हें गाती भी हैं। उनके पास एक एकड़ से कुछ कम खेत है, जिसमें काम करने वह कई बार ख़ुद जाती हैं।
प्रमिला के साथ स्वयं सहायता समूह में काम कर चुकीं शकुंतला ने बताया कि उनके समूह की महिलाएं प्रमिला को माँ की तरह मानती हैं। दस साल पहले प्रमिला के कहने पर ही शकुंतला और गांव की 14 महिलाओं ने मिलकर एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की थी।
समूह की महिलाओं ने चर्चा करके मक्का, मूंगफली और सब्ज़ियों की खेती शुरू की और इससे उनकी आमदनी में काफ़ी बढ़ौतरी हुई।
प्रमिला ठीक से हिंदी नहीं बोल सकतीं, लेकिन अंग्रेज़ी अख़बार से बातचीत में उन्होंने इस दलील को ख़ारिज़ कर दिया कि राष्ट्रीय राजनीति में सिर्फ हिंदी या अंग्रेज़ी बोलने वाले ही सफल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, “मैं गर्व से संसद में अपनी मातृभाषा उड़िया में ही बोलूंगी।”