किन्नरों के सम्मान में लहलहा उठा झण्डा

किन्नरों के सम्मान में लहलहा उठा झण्डा

14 जुलाई की शाम 3:30 बजे पटना के हिन्दी साहित्य सम्मेलन से लेकर प्रेमचंद रंगशाला तक कोथी, पंथी, किन्नर, समलैंगिक, और हिजरा के सम्मान और समाज मे इनके साथ हो रहे विभिन्नताओं को दर्शाता हुआ 500 मिटर लंबा झण्डा लहलहा उठा। लोगों के लिए शांति और स्नेह का 500 मिटर लंबा झण्डा परेड में प्रदर्शित किया गया। प्राइड परेड बिहार में चौथी बार आयोजित हुआ। किन्नर महोत्सव का रंगारंग आगाज़ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, उढ़्योग मंत्री श्याम रजक, डीएम कुमार रवि, तथा रेशमा प्रशाद की उपस्थिती में हुआ। विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति प्रेमचंद रंगशाला में दिया।

2016 मे सुप्रीम कोर्ट ने किन्नर समुदाय को कानूनी तौर पर धारा 377 के तहत शिक्षा, रोजगार और स्वस्थ्य जैसे क्षेत्र में इनके खिलाफ हो रहे भेदभाव पर रोक लगाया और इनके अधिकारों की रक्षा कि।   पर क्या इन सभी अधिकारों का प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा है जिसकी स्वीकृति उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इस संदर्भ में मुंबई कि ‘अलायशा’ जो कि एक किन्नर है, उनका कहना हैं कि 377 एक्ट लागू होने के बाद वह आज़ाद और आत्मनिर्भर हो गईं हैं और यह एक्ट उन्हें और भी सशक्त बनाया है। वह पेशे से एक मोडेल है और यह उनका 13वां प्राइड परेड था।  वहीं ‘इशानी खान जो कि प्रयाग राज से है वह कहती है कि यह एक्ट हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है और कोई तो है जिसने हमारे बारे में और हमारी खुशीयों के बारे में कुछ सोचा।

धारा 377 किन्नरों के लिए कहीं न कहीं बहुत हीं मददगार साबित हुआ है पर आज भी इन्हें कई कुरीतियों का सामना करना पड़ रहा है। आज भी उन्हें उनका पेट पालने के लिए शादी – विवाह और बच्चे के जन्म जैसे खुशी के मौके पर नाचना-गाना पड़ता है या फिर बस या ट्रेन के अड्डे पर पैसे मांगने  पड़ते है क्युंकि उन्हे उनके खुद के परिवार वाले उनका साथ नहीं देते है तथा उन्हे कोई नौकरी नहीं मिलती है ।

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‘ईशानी खान बताती हैं कि जब उनके परिवार वालों को पता चला कि वो किन्नर हैं तो उनके भाई ने उन्हें अपने घर मे रहने नही दिया और बाहर निकाल दिया फिर वो अपनी दोस्त ‘शिवानी’ जो कि एक किन्नर है, उनके सम्पर्क में आई और फिर किन्नर समुदाय से जुड़ गयी’। वही ‘अमृता [किन्नर] जो कि छत्तीसगढ़ से है वह बताती है कि उनके परिवार वालों को यह बात बचपन से पता था सिर्फ पिता और भाई के अलावा उनके परिवार वालों मे सबने उनका साथ दिया पर उनके पिता और भाई ने उन्हें आज तक नही अपनाया।  यह प्राइड परेड उनका पहला प्राइड परेड था।

यह महोत्सव किन्नरों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं था। पटना के हिन्दी साहित्य सम्मेलन से लेकर प्रेमचंद रंगशाला तक सभी लोग ढ़ोल नगाड़ों संग नाचते-गाते पहुंचे। हजारों कि तादाद में लोगों ने इनका साथ और बढ़ावा दिया। दिल्ली की किन्नर समुदाय ने महाभारत की प्रस्तुति प्रेमचंद रंगशाला में दि। वहीं संत ज़ेवियर्स के थियेटर क्लब के छात्र – छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। यह जय सिंह राठौड़ [छात्र] के द्वारा लिखा गया था और अमर शर्मा [छात्र] के द्वारा निर्देशित था। इस नुक्कड़ का उदेश्य किन्नर समुदाय से लोगों को अवगत कराना तथा उनके अधिकारों को प्रदर्शित करना था।

इस परेड के द्वारा वह सभी अपनी मौजूदगी को प्रदर्शित करना चाहते थे की वे भी यहाँ आम लोगों की तरह उपस्थित हैं। ‘राहुल जो की मुरादाबाद से थे वे कहते हैं कि हम और आप अलग नहीं हैं फिर भी समाज ने आपको स्वीकार किया और हमें नहीं। हम सभी समाज में लोगों के द्वारा स्वीकृति और अधिकार चाहते हैं। बाकी सारे स्त्री और पुरुषों कि तरह यह जीवन उन्हें भगवान द्वारा मिला है और जिस तरह समाज ने उन्हे स्वीकार किया है, वैसे ही किन्नरों को भी समाज मे स्वीकृति का अधिकार है।   आम लोगों कि तरह जीवन व्यतीत करना उनका भी हक है।

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प्रीति दयाल