समाज में विभिन्नताओं को दर्शाता हुआ 500 मीटर का इंद्रधनुष झण्डा 14 जुलाई को पटना की सड़कों पर लहराएगा। इस इंद्रधनुष झंडे के छह रंग छह तरह की लैंगिकता को समाज मे स्वीकृति दिलाने की कोशिश में हैं। ऑर इसी कोशिश के साथ 14 जुलाई को पटना के कोथी, पंथी, किन्नर, समलैंगिक, हिजरा, और व्यक्ति ‘गौरव परेड’ में हिस्सा लेंगे। परेड एक ऐसा शस्त्र है जो समाज को एक साथ लाने के लिए जाना जाता है और इसी का इस्तेमाल करेंगे पटना के बहुलैंगिक समाज। अनोखी बात यह है की यह परेड हर तरह की लैंगिकता का उत्सव है ना की सिर्फ समलैंगिकता का।
पाँच साल में तीसरी बार होने वाले इस परेड पे समलैंगिक महिला कार्यकर्ता, रेशमा प्रसाद कहती हैं, “हम यहाँ है और हम चाहते हैं कि हर कोई यह जान सके कि हम भी मौजूद हैं और अपनी भी एक पहचान रखते हैं”। हांलाकी 2018 में सर्वोच्य नन्यायालय ने समलैंगिकता को डीक्रीमीनलाइज करते हुए इन लोगों को इनका हक दिया और इससे ये अपनी पहचान के लिए थोड़े और निडर हुए हैं। फिर भी इनका कहना है इनकी परिस्थिति में अब भी कुछ खास बदलाव नहीं आया हैं। नियम और कानून तो बने हैं मगर क्या इनसे समलैंगिक लोगों की तरफ लोगों के विचार मे बदलाव आया है ?
जहां अभी कई राज्य के समलैंगिक समाज अभी भी अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वही 2017 में आंध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री चांद्राबाबू नायडू ने ट्रान्सजेंडर लोगों के लिए 1500 रुपये के मासिक पेंशन की घोषणा की थी। और बिहार ईसपे कुछ भी सोचता नहीं दिख रहा।
रेशमा प्रसाद कहती हैं, “लोगों को शिक्षित करने और जागरूक करने की ज़रूरत है कि हम कौन हैं और हम अपनी उपस्थिति को लोगों के सामने रखना चाहते हैं। इस परेड के माध्यम से, हम लोगों को इस बारे में जागरूक करना चाहते हैं कि विभिन्न लैंगिकता क्या हैं और ट्रांसजेंडर की पहचान के बारे में रूढ़ियों को तोड़ते हैं। ” वह कहती हैं, “केवल समुदाय के भीतर ही कुछ प्रकार की राहत है, लेकिन हमारी स्थिति में ठोस परिवर्तन केवल सामाजिक स्वीकृति के बाद ही देखा जा सकता है।”
इस परेड के जरिये समलैंगिक लोग समाज में अपनी उपस्थिति को दिखाना चाहते हैं जिसकी जरूरत भी है। स्मलैंगिकता कोई बीमारी नहीं है और ये बात हर उस माता-पिता को समझाने की जरूरत है जो किन्नर बच्चे पैदा होने पे खुद को श्रापित महसूस करते हैं। हम उस दर्द और कष्ट का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते जब खुद के माता-पिता अपने बच्चों को नकार देते हैं और फिर पूरी ज़िंदगी अनाथ की तरह काटते हैं। इस सोच को बदलने के लिए कुछ लोग काम तो कर रहे है पर हम सबको एक जिम्मेदार समाज की तरह काम करना होगा और समाज में सांस ले रहे विभिन्न लोगो के प्रति फिक्रमंद होना होगा। इसी लक्ष्य के साथ 14 जुलाई को पटना इस गौरव परेड में भाग लेगा और अपनी स्वीकृति जताएगा।
तान्या त्रिवेदी