कल्पना कीजिये आज से 50 साल बाद जब भारत की जनसंख्या शायद 180 करोड़ के पार चली जाएगी। और पूरी दुनिया की आबादी 1000 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी। चारो तरफ संसाधनों की भाड़ी कमी हो जाएगी। घर और सड़कें बनाने के लिए पेड़ तेज़ी से काटे जाएंगे। चरो तरफ हवा मे प्रदूषण होगा। भुखमरी अपने चरम सीमा पर होगी। तब क्या होगा? इन सब चीजों की कल्पना से ही दिल दहल जाता है। हमारे आपके हर किसी के मन मे एक डर सा पैदा हो जाता है।
इस डर की सबसे बड़ी वजह है पूरी दुनिया मे तेज़ी से हो रही जनसंख्या वृद्धि। जनसंख्या विस्फोट के वजह आज पूरी दुनिया की आबादी वर्ल्डो मीटर्स वेबसाइट के हिसाब से लगभग 7.7 बिलियन तक पहुँच चुकी है जो 1985 मे 4.8 बिलियन ही थी। बढ़ती जनसंख्या का असर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा है। हम जानते हैं की पूरी दुनिया मे प्रकृतिक संसाधन काफी सीमित है और वो एक न एक दिन समाप्त हो जाएंगे। ऐसे मे बढ़ती जनसंख्या से ये संसाधन और जल्दी खत्म ना हो जाए, इस बात का भी खतरा उत्पन होता है।
साल 1989 मे इस खतरे को भापते हुये यूनाइटेड नेशन्स ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की घोषणा की थी। तभी से हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है।
विश्व जनसंख्या दिवस का मकसद केवल जनसंख्या नियंत्रण के बारे मे बात करना ही नहीं है। बल्कि दिवस को मनाने के पीछे और भी कई मकसद है।
- लड़कियों और लड़कों को बराबर महत्व देना – विश्व जनसंख्या दिवस का मकसद लड़कियों और लड़कों को बराबर हक़ और महत्व देना है। समाज मे अक्सर देखा जाता है लड़कों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। येसे मे विश्व जनसंख्या दिवस का मक़सद इस खाई को भी कम करना है।
- यौन रोगों के बारे में शिक्षित करना और यौन रोगों के बचाव के उपाय बताना – इसका दूसरा मकसद लोगों को यौन रोगों के बारे मे शिक्षित करना है और लोग किस तरह से यौन रोग से बच सकतें है, इसके प्रति भी लोगों को जागरूक करना है।
वैसे तो विश्व जनसंख्या दिवस के और कई उदेश्य हैं पर इसका मुख्य उदेश्य जनसंख्या पर नियंत्रण है।
हम जानते हैं की पूरी विश्व की जनसंख्या काफी तेज़ी से बढ़ रही है। पर अभी भारत के परिपेक्ष मे बात करते हैं, भारत की आबादी दुनिया मे सबसे तेज़ी से बढ़ रही है। हमे भले दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थवयवस्था वाला देश न बन सकें हों पर जनसंख्या मे हमे कोई पीछे नहीं कर सकता। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की अगले कुछ वर्षों मे भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को पछाड़ कर नंबर 1 की कुर्सी पर पहुँच जाएगा।
भारत मे जनसंख्या विस्फोट एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है क्यूंकी हमारे पास भी सीमित संसाधन है पर हमारी भी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए भारत सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। लेकिन भारत की विडम्बना ऐसी है की जब जनसंख्या नियंत्रण पर भारत मे कानून बनाने से ज्यादा इस पर राजनीति होती है। अब समय आ गया है की भारत के राजनेता भी राजनीति छोड़कर जनसंख्या नियंत्रण के बारे मे सोचें। फिर भी आखिरी काम हमे और आपको ही करना होगा इसके लिए बच्चों को और हमारे समाज को शिक्षित करने की जरूरत है। उन्हे ये बताया जाना चाहिए की जनसंख्या कम होने के फायदे क्या हैं। किस तरह से हम जनसंख्या को नियंत्रण मे ला सकतें हैं।
स्कूल मे भी इसकी चर्चा करनी होगी और साथ साथ सरकार को भी कुछ करे कदम उठाने होंगे तब जाके शायद हम भारत मे जनसंख्या नियंत्रण कर पायेगे।
रोहित कुमार