जात-पात की प्रथा भारत मे सालों से चली आ रही है। जात-पात और छुआ-छूत की वजह से भारत मे ना जाने कितने लोगों से साथ अन्याय होता आ रहा है। अभी हम 2019 मे जी रहें हैं पर अभी भी कहीं न कहीं हमारे समाज से जात-पात की भावना पूरी तरह से खत्म नहीं हो पायी है। सबके साथ एक समान व्यवहार हो और सभी इंसान को बराबरी का हक़ और दर्जा मिले इसकी बात तो खूब होती है पर सच्चाई यह है की हमारे समाज मे अभी सबको एक जैसे हक़ नहीं मिल पाया है।
इस जात-पात की प्रथा से निजाद पाने के लिए हरियाणा के जींद जिले की खेड़ा खाप पंचायत ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत पंचायत के अंदर आनेवाले 24 गाँव के लोग सरनेम ना लगाकर अपने गाँव का नाम लिखेंगे। खेड़ा खाप पंचायत ने जाती व्यवस्था को खत्म करने के लिए ये आनोखा कदम उठाया है। अब इस गाँव के सभी लोग सरनेम की जगह अपने गाँव का नाम ही सरनेम के रूप मे इस्तेमाल करेंगे। खेड़ा खाप पंचायत के जयवीर वरसोला ने कहा की गाँव का नाम सबसे बड़ा होता है और इस से हमारी पहचान भी अलग होती है। इस बात को ध्यान मे रखते हुये ये फैसला किया गया है।
वरसोला ने कहा हमारी ये कोशिश जात-पात की प्रथा के खिलाफ है। हम चाहते है की सभी को एक तरीके से देखा जाये। इसके वजह से सभी जात के लोगों मे एकता भी आएगी और समाज मे सभी को एक समान देखा भी जाएगा। इसके लिए गाँव –गाँव जाकर हम सभी को जागरूक करेंगे।
इस विषय पर पटना के संत ज़ेवियर कॉलेज की छात्रा आस्था कश्यप कहती है की केवल सरनेम बदल लेने से भेदभाव खत्म हो जाएगा ये मैं नहीं मानती। इसके लिए पहले लोगों को अपने सोच मे बदलाव लाने की जरूरत है।
पंचायत का ये फैसला जात-पात की खाई को कम करने की एक नई तरकीब है पर यह कितना कारगर साबित होगा ये तो भविष्य मे पता चलेगा।
रोहित कुमार