बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं और उसके फलस्वरूप होने वाली मौतों को रोकने के लिए, सरकार ने जुलाई में मोटर वाहन संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया और 25 जुलाई को संशोधन बिल पास हुआ । वाहन अधिनियम का मुख्य उद्देश्य नियमों को कड़ा बनाना तथा इसके लिए केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देना है, साथ ही, इसमें उन तमाम पहलुओं को भी ध्यान में रखना है जिनकी वजह से सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ती है।
लोगों का मानना है की सड़क दुर्घटना घटिया सड़क होने के कारण होता है, उसके लिए
भी सरकार ने एक स्खत कदम उठाए है सड़क बनाने वाले ठेकेदार और निम्नस्तरीय कलपुर्जे प्रयोग करने
वाले वाहन निर्माता कंपनी को
100 कड़ोर का जुर्माना तय किया गया हैं।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ लाइसेंस बेहद आसानी से बन जाते हैं यहाँ कई लोग 18 से कम उम्र
के बच्चों का फर्जी लाइसेन्स बनवा लेते है। वे नौसिखिया बच्चे निडर होकर नियमों का
उलंघन करते हुये सड़कों पर नजर आते है।
मोटर वाहन बिल में सरकार ने कई कड़े नियम बनाए है जिसके उल्लंघन करने पर कठोर सजा के साथ-साथ सड़क के निर्माण और उनके रख-रखाव में कमी के चलते होने वाली दुर्घटनाओं के लिए संबंधित लोगों के खिलाफ भी ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है.
शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना 2000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए हो गई है, वही अब बिना हेलमेट वाहन चलाने पर 1,000 रुपये का ज़ुर्माना और तीन महीने के लिए लाइसेंस ज़ब्त करने का प्रावधान है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर 5,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इस बिल में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि नाबालिग ( 18 वर्ष से कम ) के बालक/बालिका कोई गाड़ी न चलाए और अगर कोई ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तो उसके अभिभावक या गाड़ी के मालिक को दोषी माना जाएगा। इसके लिए 25,000 रुपये के ज़ुर्माने के साथ-साथ 3 साल की जेल की सजा होगी। ऐसे में गाड़ी का रजिस्ट्रेशन भी रद्द करने की आदेश हैं।
सरकार कई नियम बनती है और लागू भी करती हैं, परंतु ये कागजों तक ही सीमित रह जाती है, इसीलिए हमें न सिर्फ कठोर कानून की जरूरत है बल्कि उसे कठोरता से लागू करना भी उतना ही जरूरी है। हमे यह भी समझना होगा की ये नियम हमारे भले के लिए बनाए जाते है और हमे सरकार की मदद करते हुये उन नियमों को पालन करना चाहिए।
नेहा निधि