पटना, 27 जुलाई : पटना में “द स्माइल टॉर्च” और “स्माइल ट्रेन” की अंतराष्ट्रीए संस्था ने कुर्जी होली फ़ैमिली अस्पताल और राबिया बसरी हॉस्पिटल के साथ मिलकर डॉक्टर्स और संस्था के लोग मिकलर कटे होठ और तालु के मुफ्त इलाज के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से पटना हाईकोर्ट से लेकर ईको पार्क तक का मार्च निकाला।
ऐसा कहा जाता है की किसी भी इंसान की खूबसूरती उसकी प्यारी सी मुस्कान से बढ़ जाती है चाहे वो बच्चे हो या बूढ़े, पर परेशानी तो तब बढ़ती है, जब जन्म के वक़्त कुछ बच्चों में होठ कटे या कटे हुए तालु की बीमारी पाई जाती है जो की माँ के गर्भ के दौरान बच्चे के विकृत विकास के कारण होती है। इस वजह से उन बच्चों के परिवार वाले भी परेशान रहते है और उन्हे अपने बच्चे के भविष्य की चिंता सताने लगती है। उन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए “स्माइल ट्रेन” और “द स्माइल टॉर्च” की संस्था चला रही है। होठ या तालु के बीच से कटे मरीजो को नि:शुल्क इलाज प्रदान करती है ताकि वो भी आम लोगो की तरह मुस्कुरा सके।
स्माइल ट्रेन के सदस्य, डॉ मो. जमशेद खान ने बताया की “द स्माइल टॉर्च” और “स्माइल ट्रेन” का लक्ष्य है लोगो के बीच कटे होठ और तालु की परेशानी के प्रति एवं उसके मुफ्त इलाज से जुड़ी चीजों के बारे में जागरूकता फैलाना साथ ही उन्होनें यह भी बताया की यह आयोजन पटना के अलावा कई अन्य शहरों में भी किया गया है और यह संस्था देशभर में कार्यरत है और अभी तक दुनिया भर में दस लाख से ज्यादा मरीजो का इलाज किया जा चुका है और देश की बात करे तो पाँच लाख से भी ज्यादा इलाज किया जा चुका है।
वहीं द स्माइल टॉर्च से जुड़े, डॉ बिरेन्द्र किशोर शर्मा कहते है की वो इस संस्था से 2006 से जुड़े हुए है और उन्हें इस अभियान से जुड़ कर अच्छा लग रहा है क्योंकि संस्था के इस कदम से कई लोगो की मुस्कान और ज़िंदगी लौट रही है साथ ही यह भी बताया की कल 28 जुलाई को पाटलिपुत्र होटल, अनिशाबाद में इसके लिए परिसंवाद (सेमिनार) रखा गया है।
इस मार्च मे पटना के वेग फोरेवर थिएटर ग्रुप ने नुक्कर नाटक के द्वारा कटे होठ और तालु वाले लोगों को होनेवाली परेशानी एवं इस बीमारी और इलाज के बारे मे लोगो को जागरूक किया।
वहीं संस्था की आयोजक कर्ता इशानी ने बताया की उन लोगों ने कई लोगो से जुड़ कर जागरूकता फैलाया है और साथ ही साथ अलग-अलग भाषाओ द्वारा भी जुडने की कोशिश की ताकि हर तरह के लोग इसे जुड़ सके और जागरूक भी हो।
शाम्भवी