जहाँ एक ओर लोग भूखे मर रहे है, कुपोषण के शिकार हो रहे है वही दुसरी ओर हम दूध को व्यर्थ मे बर्बाद कर रहे है वहाँ जहाँ इसका कोई मोल नहीं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस पूरे महीने भगवान शिव की पूजा से बहुत लाभ मिलता है। इस वजह से लोग ना जाने कितना ढूध और जल बहा देते है बिना सोचे समझे और ये यहीं बर्बाद होते है इसे देखने वाला कोई नहीं।
सावन महीने में सोमवार व्रत, शिवरात्रि और रक्षाबंधन के अलावा नाग पंचमी का भी विशेष त्योहार आता है। चूकी सर्पों का भगवान शिव से सीधा नाता है इसलिए इस मास में नाग पंचमी की पूजा का भी बहुत महत्व है।
नाग पंचमी के दिन सर्पों की पूजा और उन्हें दूध पिलाने की मान्यता है। सांप को नाग पंचमी के दिन दूध पिलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
लोग नागों पर ढूध चढ़ाते परंतु ये नही देखते की ढूध बह कर जा कहा रहा है इससे कितना ढूध बर्बाद होता है ये कोई नही देखता। हालांकि, सर्पों को दूध पिलाने की बात पर विज्ञान कुछ और कहता है। अगर हम सर्पो पे ढूध चढ़ाने बजाए जरुरत मन्द को दे तो उनका पेट भर जायेगा और दुआए भी मिल जायेगी।
विज्ञान के अनुसार सांप को दूध पिलाना ठीक नहीं क्योंकि इससे सर्पों का ही नुकसान होता है और उनकी मौत भी हो सकती है।
ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध पिलाने से नांगदंश का खतरा नहीं होता और घर अन्न-धन के भंडार से भरा होता है ये सब अब के समय मे अन्धविश्वास सा है बहुत कम लोग ही अब ऐसे हैं जो इसको मानते है।
हालांकि, विज्ञान सांप को दूध पिलाने की बात को सही नहीं ठहरता।
आस्था भले ही सांप को दूध पिलाने की बात कहती है लेकिन विज्ञान की मानें तो सांप स्तनधारी जीव नहीं बल्कि रेप्टाइल है। रेप्टाइल जीव दूध को हजम नहीं कर सकते। ऐसे में दूध पीने से सांप की आंत में संक्रमण हो सकता है और उसती मृत्यु तक हो सकती है। दरअसल, सांप का पाचन तंत्र ऐसा नहीं होता कि वह दूध को पचा सके। सांप मांसाहारी रेप्टाइल जीव है जबकि दूध का सेवन स्तनधारी करते हैं। ऐसे में सांप को दूध पिलाना एक तरह से उन्हें ही नुकसान पहुंचाने जैसा है।
लोगों से बात करने पे पता चला की वे आस्था को नही विज्ञान को मानते है और मानना भी चाहिए।
छात्रों का मानना है कि-” हम 21वीं शदी मे आ गये है हमे अन्धविश्वास पे नही बल्कि सोच समझ कर कार्य करना चाहिए आगे बोलते है कि अगर हम सर्पो को ढूध पिलाने के बजाए गरीब, अनाथ बच्चों को पिला दे तो किसी भूखे का पेट भर जायेगा”। आगे जोड़ते हैं कि जरूरत है लोगों के जागरुक होने की और आस्था से उपर बढ़ कर सोचने की।
मैं छात्रों के बात से पूरी तरह से सहमत हूँ की हमे अन्धविश्वास को नहीं मानना चाहिए और लोगो को भी अहसास दिलाना चाहिए और ये हमरी भी जिमेदारी बनती है।
उन्हें बताना चाहिए कि कैसे हम शिवलिंग पर, सर्पो पर जल और ढूध बर्बाद कर रहे हैं और दुसरी तरफ लोग भूखे मर रहे हैं, जल के एक बूंद के लिए तरस रहे हैं, ढूध के बगैर कुपोषित के शिकार हो रहे हैं तो हमें वैसे जगह इसका उपयोग करना चाहिए लोगो के काम आए ना की व्यर्थ के ऐसे चिज़ पर जिसका कोई कुछ उपयोग भी ना कर सके।
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नेहा निधि