पटना जंक्शन जहां यात्रियों के लिए ठंडे पानी का फिल्टर, हर एक प्लैटफ़ार्म पर नलों की व्यवस्था तथा यहाँ तक गतिमय सीढ़ी कि भी व्यवस्था है।
लेकिन बात करें जंक्शन पर उपलब्ध शौचालय की तो, इस जंक्शन पर पूरे 10 प्लैटफ़ार्म हैं जिनमें से केवल प्लैटफ़ार्म नंबर -1 पर ही पुरुषों तथा महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था है। यहाँ पानी की व्यवस्था हर जगह है परंतु शौचालय सिर्फ एक है ।
इस बारे में सुनीता देवी का कहना है कि, इस जंक्शन के प्लैटफ़ार्म नंबर -1 और जंक्शन के बाहर में ही शौचालय उपलब्ध है। प्लैटफ़ार्म नंबर -1 का शौचालय तो उपयोग करने लायक है लेकिन जंक्शन के बाहर वाले शौचालय से इतना ज़्यादा बदबू आती है कि 2 मिनट तक खड़ा होना भी मुश्किल है।
शौचालय में हाथ धोने के लिए भी साबुन का सिर्फ एक छोटा सा टुकड़ा यात्रियों के उपयोग के लिए उपलब्ध है तथा महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकीन की भी व्यवस्था नहीं है, जिसके वजह से महिलाओं को ज़्यादा परेशानी होती है। शौचालय की व्यवस्था सिर्फ दो जगहों पर ही है और उनमे से भी बहुत ज़्यादा बदबू आती है।
कुछ लोगों ने अपनी राय दी है, जिनमें राकेश कुमार का कहना है कि, यहाँ पर उपलब्ध शौचालय को उपयोग करने के लिए यात्रियों को भुगतान करना पड़ता है जो की नहीं होना चाहिए। लेकिन यहाँ पहले से अच्छी व्यवस्था हो गई है और यहाँ के साफ – सफाई में भी पहले से सुधार आया है। पहले तो गर्मी में ठंडा पानी के लिए किसी दुकान पर से ही खरीदना पड़ता था, पर अब जगह – जगह पर ठंडे पानी का फ़िल्टर लगा दिया गया है।
वहीं पूनम कुमारी का कहना है कि, जंक्शन के अंदर में प्लैटफ़ार्म नंबर -1 के अलावे अन्य प्लैटफ़ार्म पर भी शौचालय कि व्यवस्था होनी चाहिए। शौचालय न होने से पुरुषों को तो उतना नहीं पर महिलाओं को ज़्यादा परेशानी होती है। अगर कोई प्लैटफ़ार्म नंबर -5 या 6 पर हैं तो शौचालय के लिए प्लैटफ़ार्म नंबर -1 या जंक्शन के बाहर ही जाना होगा। जहां सरकार हर रोज जगह – जगह शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है वहाँ क्या सरकार जंक्शन पर अन्य शौचालय नहीं उपलब्ध करा सकती है ?
सुरेश प्रसाद का कहना है कि, कहीं भी साफ – सफाई को बरकरार रखने के लिए सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि जनता की भी ज़िम्मेदारी है। लेकिन बात हो शौचालय की तो, प्लैटफ़ार्म नंबर -1 के अलावे अन्य पर भी होना चाहिए।
लोगों के विचार के अनुसार पटना जंक्शन के अन्य प्लैटफ़ार्म पर भी शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए और साथ ही विशेष कर महिलाओं के लिए हाइजीन संबंधित उत्पादों को भी उपलब्ध करवानी होगी। लोगों का यह भी कहना था कि, जहां शौचलाया संबन्धित इतनी सारी योजनाएँ लाई जा रही है। गाँव – गाँव में जा कर जागरूकता फैलाई जा रही है वहीं पटना जैसे बड़े शहर के जंक्शन पर शौचालय की व्यवस्था इतनी कम और जो भी शौचालय उपलब्ध है उसकी स्थिति इतनी खराब क्यूँ है ?
प्रीति दयाल