1 सितम्बर को पटना के गांधी संग्रहालय में जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल रिसर्च (XISR)) ने “बिहार के डोम” : जीवन-संघर्ष, श्मशान से सड़क तक का पुस्तक विमोचन किया।
कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रेरणा(जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) के निदेशक हसन इमाम भी मौजूद थे जिसमें उन्होनें पुस्तक पर चर्चा करते हुए यह बताया की यह पुस्तक डोम की ज़िंदगी को दर्शाती है की किस तरह हमारे समाज में डोम जात को अछूत माना जाता है। वह कहते है की एक तरफ जहां हमारा मानना है की हिन्दू धर्म में लाश को जब डोम के द्वारा जलाया जाता है तब उस मृत आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है, वहीं दूसरी तरफ हम उन्हें अन्य समय मे घृणा की नज़र से देखते है।
कार्यक्रम की शुरुआत XISR के निदेशक फादर डॉ. जोस कलापुरा ने की जिसमें उन्होनें XISR की उपलब्धियों के बारे में बताया साथ ही बिहार में इसकी स्थापना 10 सितम्बर 2007 को हुई थी उस से लोगों को अवगत कराया। फादर जोस ने कहा इस इंस्टीट्यूट की यही कोशिश रहती है की साहित्यकार,उपन्यासकार जैसे लोग इस से जुड़े रहे एवं इस इंस्टीट्यूट में पंद्रह हज़ार से भी ज्यादा पुस्तके है जिसे कोई भी पढ़ने के साथ-साथ खरीद भी सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपन्यासकार श्री व्यासजी एवं विमर्शकार श्री प्रेम कुमार मणि ने पुस्तक से जुड़ी अपनी बात रखते हुए यह कहा की हमारे समाज में डोम के प्रति छुआछूत की प्रथा बरसों से चली आ रही हैं। एक ओर जहां जितनी हमारी सरकार जिम्मेदार उतनी ही हम आम इंसान भी है और यह प्रथा कब समाप्त होगी इसका किसी को अंदाज़ा नहीं है।
अन्य अतिथि में संत जेवियर कॉलेज के प्रधानाचार्य फादर डॉ.टी.निशांत, उपप्रधानाचार्य फादर मार्टिन, संत जेवियर हाइ स्कूल के फादर रेक्टर जोसफ सेबास्टियन,लेखक श्री राम प्रसाद दास जी, एवं सह-प्रकाशक श्री नन्द किशोर सिंह उपस्थित थे। वहीं फादर डॉ. जोस कोलापुरा ने धन्यवाद ज्ञापन दे कर कार्यक्रम की समाप्ती की।
–शाम्भवी