अक्टूबर का इंतज़ार तो सभी करते है और करे भी क्यो न आखिर लगभग सारे त्योहार और बहुत सारी छुट्टियाँ तो इसी महीने आती है। हर साल की तरह इस बार भी लोग बड़े उत्साह से धनतेरस से शुरू होने वाले आठ दिनों तक की लगातार चलने वाले त्योहारो को मनाने के लिए तैयार है। धनतेरस के बाद छोटी दिवाली, दिवाली, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पूजा मनाया जाएगा।
बुजुगों के अनुसार, धनतेरस के दिन सोने या चांदी की वस्तुएं और नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। कई लोग कार, स्कूटर और टीवी के लिए शुरुआती बुकिंग भी करते हैं। लोग धनतेरस पर सूर्यास्त के बाद मिट्टी के दीपक भी जलाते हैं और अगले दिन पड़ने वाली छोटी दिवाली तक जलते रहते हैं।
कुर्जी के पुजारी, प्रकाश ने बताया कि दिवाली, अंधेरे के साथ प्रकाश की आध्यात्मिक जीत का प्रतीक है। इसलिए, मिट्टी के दीपक जलाने की प्रथा को युगों से पालन किया जा रहा है।
दीपावली के बाद सोमवार को गोवर्धन पूजा होगी, लोग भगवान कृष्ण की पूजा करेंगे। पाटलीपुत्र के निवासी हरेराम जी कहते है, ” गोवर्धन पूजा कृष्ण जी के लिए होती है पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण को गायों से बहुत लगाव था इसलिए हम इस दिन गाय की पूजा करते है।”
29 अक्टूबर को बहनें भाई दूज पर अपने भाइयों के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करेंगी वही उसी दिन कायस्थ समुदाय चित्रगुप्त पूजा भी मनाएंगे। चित्रगुप्त पूजा मे भक्त भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं और कागज के एक टुकड़े पर अपनी आय और व्यय का हिसाब लिखते हैं।
इसके बाद बिहार का महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा 31 अक्टूबर से शुरू होगी। व्रती शुशमा जी कहती है,“ मैं वर्षों से छठ का व्रत कर रही हूं। यह त्योहार मेरे दिल के बहुत करीब है। इस त्योहार मे मेरे बेटे, बहू, बेटी और अन्य सभी परिवार एक साथ आकर मानते है इस बार की पूजा के लिए भी मै उत्साहित हूँ।”