एनकाउंटर ही सही, न्याय तो मिला

एनकाउंटर ही सही, न्याय तो मिला

देश लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चलता है । हैदराबाद एनकाउंटर का जबरजस्त लोक समर्थन मिल रहा है। इसके बावजुद कुछ बुद्धिजीवी इस एनकाउंटर का  विरोध अपने शब्दों के चालाक कारीगरी से कर रहे हैं।

मुझे लगता है , इस घटना की निंदा जन दबाव और लोक परिहास के भय से सामने से नही बल्कि शब्दों को घुमा – घुमाकर हो रही है । फिर भी मेरा स्पष्ट मत है कि कोई घटना किसी एक कारण से ही घटित नही होती । इसके लिए कई कारण एक साथ इक्कठे होते हैं तो कोई घटना घटित होती है । इस एनकाउंटर की घटना और उस पर जन मानस की प्रतिक्रिया के पीछे भी बहुत से कारण हैं । मैं यहां सिर्फ एक कारण का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा।

 न्याय में विलम्ब इसका प्रमुख कारण है । इस तरह के कई घटनाओं के दोषियों को वर्षों से सजा नही मिल पाई है । इसके लिए हम न्यायपॉलिका और न्यायाधीशों को सीधे दोषी मान लेते हैं । आंकड़ों में बात करे तो भारत मे 10 लाख की आबादी पर सिर्फ 17 जज हैं। जबकि अमेरिका में इतनी ही आबादी पर 107, यू के में 51, कनाडा में 75 और आस्ट्रेलिया में 42 जज हैं।

वर्ष 2014 के लॉ कमीशन के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 लाख के आबादी पर 50 जज की आवश्यकता है । देश के लोअर कोर्ट में 20214 जज के पद हैं जबकि हाई कोर्ट में 1056 पद। इसमे सिर्फ लोअर कोर्ट में 4600 यानि 23% जज के पद ख़ाली हैं। हाई कोर्ट में 462 यानी 44% जज के पद खाली हैं। वही सुप्रीम कोर्ट में 31 के मुक़ाबले 6 पद खाली हैं। वह भी तब जब देश के विभिन्न न्यायालयों में 3.10 करोड़ मुकदमे पेंडिंग हैं। ऐसी स्थिति के लिए कौन दोषी है।

किसी भी राष्ट्र की मुख्य और प्रथम जिम्मेवारी न्याय और सुरक्षा की होती है। लेकिन बेटियां असुरक्षित और न्यायाधीशों की कमी के कारण त्वरित न्याय का अभाव। दोषी कौन ? हमारे रहनुमा अपना वेतन और सुविधा बिना बहस के करतल ध्वनि में बढ़ा लेते हैं। किन्तु देश की सुरक्षा और न्याय की चिंता नही। जब त्वरित न्याय चाहे जैसे भी हो, मिलता है तो देश के लोगों को खुश होना स्वाभाविक है। इसीलिए मैं सांसदों और विधायकों का वेतन आम व्यक्ति के घोषित आय के बराबर या दुगना रखने की बात करता हूँ। यकीन मानिए जिस दिन जो संगठन इसको मानकर आगे बढ़ेगा, देश की जनता अपने माथे पर बैठा लेगी। इसीलिए मैं मानता हूं कि यह एनकाउंटर भी जायज है। क्योंकि त्वरित न्याय तो मिला चाहे जैसे हो। 

प्रह्लाद

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