नीतीश कुमार जातिगत जनगणना को लेकर इतने मुखर क्यों हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि ये समाज बांटने वाला काम नहीं बल्कि समाज को एकजुट करने में मददगार है।
पिछले कुछ दिनों की चर्चा करें तो नीतीश कुमार उन मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं जिसपर बीजेपी खुलकर कुछ नही कहती है। हालांकि बिहार के बीजेपी नेता जातिगत जनगणना करने के पक्ष में हैं। इस मामले पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा की केंद्र सरकार 2021 में यह जनगणना करवाने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में प्रश्न ये है की नीतीश कुमार लगातार इस मुद्दे पर बयान क्यों दे रहे हैं ? ध्यान देने वाली बात यह है की बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद भी नीतीश कुमार इस मुद्दे पर बार बार बीजेपी पर दबाव बना रही है।
वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद का कहना है की ऐसा लगता है की नीतीश कुमार अपनी पार्टी के भविष्य के लिए नए आधार की रचना करना चाह रहे हैं। मना जा रहा है की मुख्यमंत्री अपने पुराने साथियों के साथ कोइरी, यादव और कुर्मी जातियों को साथ लेकर एक नए राजनीतिक आधार की संरचना करना चाहते हैं।
इसी क्रम में नीतीश के आलोचक रहे उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी को जदयू के साथ शामिल कर लिया। साथ ही लालू यादव तथा तेजस्वी यादव के साथ भी मुख्यमंत्री की नजदीकियां बढ़ गईं हैं।
“नीतीश कुमार की नजर 2024 में होने वाले आम चुनाव पर है।लगता है वह विपक्ष को बताना चाहते हैं की साल 2024 के चुनाव में मोदी का सामना करने के लिए वह एक बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं।” यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ तिवारी का। तिवारी ने दूसरी वजह बताते हुए यह भी कहा कि “हो सकता है मुख्यमंत्री बीजेपी को यह बताना चाहते हैं की मोदी जो चाहेंगे वह बिहार में नहीं होगा। नीतीश कुमार अपने लगातार बयानों के ज़रिए बीजेपी को असहजता की स्थिति में डाल दिया है।
प्रधानमंत्री पद की ओर बढ़ते कदम
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र का कहना है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के लिए प्रयासरत हैं। मिश्र यह भी मानते हैं कि इस मुद्दे पर बार बार बयान देने की वजह ओबीसी राजनीति का उभार भी है, क्योंकि बिहार के जो दो उप मुख्यमंत्री हैं वे भी ओबीसी हैं। देखा जा रहा है की यह एक राजनीतिक मजबूरी है जिससे बिहार का कोई भी नेता मुंह फेर नही सकता।
Prepared by Intern Seema Kisku from internet sources