राजगीर (राजगृह) को पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यहां से हर धर्म जुडे़ हैं, जैसे – बौद्ध धर्म, जैन धर्म, इस्लाम, सिख धर्म आदि। यह स्थल सर्वधर्म समभाव का प्रतीक चिन्ह है। इसी श्रेणी में अब ईसाई धर्म भी शामिल हो चुका है।
राजगीर में एक छोटे से गिरजाघर की स्थापना 1993 में स्वर्गीय फादर एंथनी पेनाघाट तथा स्वर्गीय बिशप बेनेडिक्ट जे ओस्ता की निगरानी में हुई। साल 2019 में इस पल्ली में नए गिरजाघर की नींव रखी गई।
राजगीर में कुल 3 गिरजाघर हैं :– एक कैथोलिक चर्च तथा दो प्रोटेस्टेंट चर्च। उस समय इस पल्ली में सिर्फ 5 परिवार थे। वर्तमान में पूरे राजगीर शहर में 60 ईसाई परिवार हैं।
नए गिरजाघर के निर्माण के लिए पोप फ्रांसिस की ओर से गिरजाघर को 50% राशि प्रदान की गई थी ताकि यह गिरजाघर सर्वधर्म समभाव को नई ऊंचाइयां दे सके।
वर्तमान में राजगीर पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर जेम्स रोज़रिओ हैं।
फादर जेम्स 7 अप्रैल 2019 से पल्ली पुरोहित के पद पर आसीन हैं। अपने पल्ली के बारे में विस्तार से बताते हुए वे कहते हैं, “यह एक छोटी पल्ली है परंतु काफी सक्रिय है। इस पल्ली में अनेक संघ कार्यरत हैं, जैसे – महिला संघ, क्रूसवीर, मैत्रिसंगम, पल्ली परिषद्, विंसेंट डी पॉल संस्था आदि। सभी संघ अपने छेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं जो की सराहनीय है।
कलीसिया 27 अगस्त को संत मोनिका का पर्व मानती है। राजगीर पल्ली में रविवार यानी 12 सितंबर को संत मोनिका दिवस मनाया गया। संत मोनिका माताओं की संरक्षक संत हैं। इस दिन पल्ली में विवाहित महिलाओं के लिए विशेष मिस्सा पूजा का आयोजन किया गया। महिला संघ की सदस्यों ने इस दिन के लिये विशेष तैयारियां की थीं। महिलाओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रम तथा प्रीतिभोज का आयोजन भी किया गया था। पल्ली मोनिका दिवस को महिला दिवस के रूप में मानती है।
फादर जेम्स ने कहा, “मोनिका दिवस के दिन उनलोगो के आदर सम्मान में विशेष कार्यक्रम किया जाता है। उनलोगो को प्राथमिकता दी जाती है।” इस अवसर पर अगले एक सप्ताह तक सबके घरों में नॉवेना प्रार्थना चलेगी। वे कहते हैं, “संत मोनिका ने प्रार्थना द्वारा अपने बेटे का हृदय परिवर्तन किया। प्रार्थना का बल अति आवश्यक है।”
कोरोना के कारण लोग अपने अपने घरों में ही प्रार्थना कर रहे थे। कोरोना का प्रभाव इस पल्ली में काफी कम देखने को मिला। ईश्वर की कृपा से किसी की भी मृत्यु कोरोना से नही हुई।
लॉकडाउन खत्म होने के बाद गिरजाघर खोल दिए गए हैं। शुरुआत के कुछ हफ्तों में मिस्सा पूजा का आयोजन नहीं होता था।मगर राजगीर का गिरजाघर हर वक्त भक्तों के लिए खुला रहता था। चूंकि इस छेत्र में काफी कम परिवार हैं, इसीलिए लोग सीमित मात्रा में गिरजाघर जाते थे। लोगों को सामाजिक दूरी पालन करने के निर्देश दिए जाते हैं। गिरजाघर में हर जगह सैनिटाइजर तथा स्वच्छ पानी की व्यवस्था की गई है। इस कार्य में पल्ली के हर लोगों ने हरसंभव सहायता की।
फादर जेम्स कहते है,“जो लोग गिरजाघर नहीं जा सकते उनके लिए प्रार्थना सभा कराई जाती थी। हमने हर परिवार में प्रार्थना की किताबों का वितरण किया ताकि लोग अपने घर में ही प्रार्थना कर सके। पटना तथा रांची द्वारा ऑनलाइन मिस्सा बलिदान चढ़ाया जाता है जिसमें भक्तगण भाग लेते हैं।
अंत में उन्होंने कहा की लॉकडाउन होने से प्रार्थना में कमी नहीं होनी चाहिए। लोगों को निरंतर प्रार्थना करती करनी चाहिए।
[Reported by Seema Kisku}