अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार की किताबों में (Articles 9,18) तथा भारत के संविधान की किताबों में (Articles 25,26,27,28,) किती भी व्यक्ति को अपने पसंद के किसी भी धर्म को अपनाने और उसे प्रसार- प्रचार करने का अधिकार दिया गया है ।
परंतु समय समय पर इन धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों पर हस्तक्षेप की घटनायें देखने-सुनने को मिलती हैं । जैसे आज दिनांक 3 जुलाई 2022 को प्रकाशित अख़बारों में गुमला जिला ,सिसई प्रखंड, गाँव शिवनाथपुर डाहुटोली की घटना, जिसमें अख़बार अनुसार २ परिवार के सदस्यों ने सरना धर्म त्याग कर ईसाई धर्म अपना लिया। इससे नाराज़ होकर कुछ लोगों ने गाँव में सभा बुलाकर उन्हें सरना धर्म में पुनः लाैटने को कहा। परंतु ये नहीं माने, ये कहते हुए कि ‘हमें ईसाई धर्म में शांति मिलती है’ ।
तब स्थानीय प्रशासन को भी बुलाया गया । परंतु ये अपने विश्वास में अडिग रहे। तब सभा ने इन दोनों परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया और परिवार के घरों में तला जड़ दिया ।
नये -नये बने ये ईसाई परिवार अभी खेती -बारी के समय अपने घर -द्वार ,गाय -बैल, मुर्ग़ी -चेंगना सब को छोड़कर जायें तो कहाँ जांये??
पुराने ज़माने में धर्म सतावट की कहानी सुनी जाती थी, कि उस जमाने में किस प्रकार धर्म के नाम पर सतावटे हाेती थी, तरह-तरह से लाेग प्रताड़ित किये जातें थे ,लेकिन येअपने विश्वास के लिये मर -मिटने को भी तैयार हो जाते थे ।
येसु ने कहा भी है मेरे नाम के कारण लाेग तुम्हें सतायेंगे,कचहरी में घसीटेंगे…।
सब कुछ ठीक-ठाक है तो धर्म मानना सहज है परंतु समाजिक बहिष्किरित होकर ,अपना सब कुछ लुटाकर येसु के पीछे चलना सहज नहीं है।
जब शिवनाथपुर डाहुटोली वाले अपने निर्णय पर अडिग रहे तब स्थानीय प्रशासन ने इन्हें अपने थाना मुख्यालय में लाकर शरण दिया है, परंतु शरणार्थी बन कर ये कब तक अपने विश्वास में अडिग रह पायेंगे?? ये बेचारे ,नये बने ईसाई,अन्य पुराने ईसाइयों से,ईसाई धर्म गुरुओं से मदद की क्या आशा कर रहे होंगे??
इस घटना के पीछे कहीं राजनीति तो नहीं??
याद रहे, गत विधानसभा चुनाव में क्या ईसाई क्या सरना क्या हिन्दू या मुसलमान सभी ने मिलकर रिकार्ड मत से गठबंधन जे एम एम उमिदवार को विजयी बनाया था। ये विधान सभा सरना और ईसाई बाहुल्य क्षेत्र है अगर सरना और ईसाई अलग-अलग वोट करेंगे तो ये किसी को विजय नहीं दिला पायेंगे, चूँकि इनका वाेट बँट जायेगा और तीसरा को लाभ होगा ।
इसलिए उपर्युक्त क़िस्म की घटनाओं को पूर्व नियोजित ढंग से ,बहुत सोच समझकर अंजाम तो नहीं दिया जा रहा होगा ???
लेखक: फादर सिप्रियन कुल्लू , गुमला