डॉ. सुरेश खैरनार का यह लेख ‘चौथी दुनिया’ पत्रिका में छपा। पूरा लेख पढ़ने के लिए लिंक का अनुसरण करें।
पिछले दो हफ्तों से अपने पड़ोसी देश बंगला देश में जोभी घटनाओं का क्रम हो रहा है ! उससे भारत के हिंदुत्ववादी संगठनों की बांखे खिल गई हैं ! और वह बंगला देश के नाम पर भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए बंगला देश की घटना की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए पेश किए जा रहे हैं ! यह हमारे देश के संविधान के खिलाफ है ! और हमारे देश की परंपरा के भी खिलाफ है ! इस तरह की हरकत से जाने-अनजाने में भारत भी बंगला देश की राह पर घसीटा गया, तो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पुनः आजसे 78 साल पहले की स्थिति बन सकती है !
अभी इस वक्त महाराष्ट्र में ‘सकल हिंदू’ के बैनर तले नासिक में बंद का ऐलान किया गया था ! और अब मालेगांव में बंद करने का एकमात्र उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण ! और इसी क्रम में अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर तहसील के सराला नाम के जगह पर, नाथसंप्रदाय के मठ में कोई रामगिरी नाम के महाराज ने मुहम्मद साहब के बारे में बहुत ही गैरजिम्मेदाराना बयान दिया है !
साथियों मैं राष्ट्र सेवा दल का एक सिपाही होने के नाते बंगला देश के प्रति उतना ही चिंता कर रहा हूँ ! जितनी की ‘सकल हिंदू’ संगठन के लोग ! लेकिन दोनो की चिंता में मौलिक फर्क यह है ! कि मेरी चिंता आज भी बंगला देश में रह रहे, एक करोड़ एकतिस लाख चौवालिस हजार दो सौ चार हिंदूओं के जान माल की सुरक्षा की है ! और सकल हिंदू संगठन जो शुध्द महाराष्ट्र के आने वाले विधानसभा के चुनाव के लिए महाराष्ट्र में हिंदू – मुस्लिम धार्मिक ध्रुवीकरण करने के लिए, कि जा रही राजनीतिक पैतरेबाजी है !
खाते में ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं
क्योंकि वर्तमान महाराष्ट्र सरकार के खाते में ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं है ! कि जिसे लेकर वह जनता के सामने वोट मांगने के लिए जा सके ! क्योंकि रामगिरी महाराज के विवादास्पद बयान पर कारवाई करने की जगह मुख्यमंत्री खुद उन्हें उनके मठ में जाकर मिले हैं ! और बयान में कहा कि “महाराष्ट्र संतों की भूमि है, और हम संतों के उपर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे ! और उनके बाल को भी कोई बाका करेंगे तो, हम उसे सक्ति से निपटेंगे !” मतलब रामगीरी किसी और धर्म के संस्थापक के बारे में कुछ भी आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बावजूद मुख्यमंत्री महोदय उनके पास खुद चलकर जाकर इस तरह का बोलने का क्या मतलब हुआ ?
भीमा – कोरेगांव की घटना
आज से छह साल पहले भीमा – कोरेगांव की घटना को लेकर भी, उस घटना के असली गुनाहगारों को छोड़कर जिन्होंने अपने जीवन में भीमा कोरेगाव यह नाम भी सुना नहीं है ! ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने वाली सरकार से कोई दुसरी उम्मीद भी नहीं है ! क्योंकि भिमा कोरेगाव की घटना की जांच मैंने खुद राष्ट्र सेवा दल के तरफसे की है ! और वह रिपोर्ट भारतीय पत्रकारों के भिष्मपितामह निखिल चक्रवर्ती ने शुरू किया हुआ, मेनस्ट्रीम ने खुद होकर हमारे रिपोर्ट को छापा है ! और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड जब सर्वोच्च न्यायालय ने भिमा – कोरेगावके केस के लिए बनाए गए पिठ में एक जज थे ! तो उन्होंने अपने डिसेंट जजमेंट में हमारे रिपोर्ट को शब्दशः कोट किया है !
और अभी भी मै बंगला देश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को आरक्षण देने की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की घोषणा के पहले से ही, मै बहुत ध्यान से बंगला देश में जोभी कुछ घटनाक्रम जारी है ! उनपर मेरी पूरी नजर है ! मै उनसे चिंतित होकर यह पोस्ट लिखने की कोशिश कर रहा हूँ ! क्योंकि भारत में बंगला देश के हिंदूओं को लेकर जो भी प्रतिक्रिया व्यक्त की जायेगी उसका खामियाजा बंगला देश में रह रहे हिंदूओं को ही भुगतना पड़ सकता है ! भले ही महाराष्ट्र के होनेवाले विधानसभा चुनाव में वर्तमान सत्ताधारी दल बंगला देश के हिंदूओं के बारे में सही गलत जानकारी फैला कर चुनाव जीतकर सत्ता में वापसी क्यो न कर लें !
क्योंकि मुझे 2011 के नवंबर महीने के 17 नवंबर से 24 नवंबर एक सप्ताह के लिए, एशियन सोशल फोरम के संमेलन मे भाग लेने के लिए बंगला देश में जाने का मौका मिला था ! उस समय मै एशियन सोशल फोरम का संमेलन खत्म होने के बाद, जानबूझकर बंगला देश में और दो दिन रहा था ! उसमें से एक दिन बंगला देश में फसे हुए (1971) बिहारी मुसलमान और बंगला देश में बटवारे ( 1946-47 )और 1971 के बंगला देश पाकिस्तान से अलग होने के बाद भी रह रहे हिंदू धर्म के लोग, जो आज भी 13,144,204 है ! जो बंगला देश की कुल जनसंख्या का 7,96%हिस्सा है ! ( Source : Bangla Desh Population and Housing Census 2022 ) रह रहे हैं ! और मुझे हमेशा ही यह चिंता सताए रहती है ! कि अब बंगला देश के हिंदूओं के साथ क्या हो रहा होगा ?
भागलपुर में शांतीसदभावना के काम
जो मैंने भागलपुर के दंगों के बाद ( 1989 ) भागलपुर में शांतीसदभावना के काम के दौरान, भागलपुर के हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताओं को बताने की कोशिश की है ! कि “आप भागलपुर पटना या लगभग संपूर्ण बिहार में ही बहुसंख्यक आबादी के हो ! लेकिन पडोसी बंगला देश में आज भी काफी संख्या में हिंदू रह रहे हैं ! और आप को सचमुच ही हिंदूओं कि चिंता होती है, तो दुनिया के किसी भी जगह पर जो अल्पसंख्यक हिंदू धर्म के लोग रह रहे हैं ! उनकी कुछ तो चिंता करो !
और 6 दिसंबर 1992 के बाद बंगला देश तथा पाकिस्तान में क्या प्रतिक्रिया हुई थी ? जो तस्लीमा नासरिन ने ‘लज्जा ‘शिर्षक से लिखी हुई अपनी किताब में लिखा है ! तो यह चेनरिअॅक्शन कब तक चलते रहेगी ? ”
उसकी किमत हमें ही चुकानी पड़ती है !
और जब मैं 2011 के नवंबर में ढाका के धनमंडी नाम के इलाके में ढाकेश्वरी के मंदिर में बंगला देश के हिंदूओं के संघठन का कार्यालय है ! इसलिए मैं वहां गया था ! और कार्यालय को खुलने के लिए दो घंटे का समय था ! तो मंदिर के पूजारी चटोपाध्याय महाशय ने मुझे कहा कि “आप तबतक मंदिर को देखिए, और बाद में मेरे आवास में चलकर कार्यालय खुलने तक बैठ सकते हो”! तो सबसे पहले वह मुझे ढाकेश्वरी के मंदिर में लेकर गए, तो मै खडे-खडे मूर्ति को निहार रहा था ! तो पूजारीजीने बंगला में कहा कि “आपनी कि मॉंके प्रणाम कोरबेन ना ?” ( “क्या आप मां को प्रणाम नही करेंगे ?” ) आज मै पहलीबार लिखित रूप से कह रहा हूँ, कि मैं तुरंत साष्टांग दंडवत करते हुए ! ढाकेश्वरी मंदिर के फर्श पर मेरा माथा टेकते हुए ! मन-ही-मन में कहाँ की ” हे माते समस्त विश्व के सभी प्रकार के जीव-जंतुओं की रक्षा करो, यही मेरी एकमात्र प्रर्थना है !”
और यह क्रिया इतनी सहजता से हुई थी कि आज भी मै उसे याद करते हुए अचंभित होता हूँ ! उसके बाद पूजारीजीने अपने आवास पर ले जाकर अपने चारसौ साल के इस मंदिर के पुजारी होने के इतिहास से लेकर, मैंने जब पुछा की” आप यहां पर रहते हुए कैसा महसूस करते हो ? ”
तो उन्होंने कहा कि वैसे तो हम लोग ठीक ही है ! लेकिन जब भी भारत में कोई विशेष घटना होती है !जैसे 6 दिसंबर 1992 के दिन बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, बंगला देश में तिव्र प्रतिक्रिया व्यक्त हुई थी ! इसलिए आपसे मेरा नम्र निवेदन है, कि आपको अगर कभी मौका मिला तो भारत के हिंदुत्ववादी संघठन के लोगो को बताईये की भारत में जब – जब आप लोग मुसलमानों को सताते हो तब – तब उसकी किमत हमें ही चुकानी पड़ती है !
और मुझे नागपुर वापस आने के बाद कुछ ही समय में नागपुर आरएसएस के कुछ लोगों द्वारा हेडगेवार विचार मंच के बैनर तले हर शनिवार को भाषण का कार्यक्रम होता है ! और मुझे अचानक उनके एक आयोजन समिति के सदस्य ने पुछा की आप अभि-अभि बंगला देश की यात्रा से लौटे हो, तो क्या आप हमारे मंच पर आकर उन अनुभवों से हमें अवगत कराओगे ?
आग में घी का काम
आज से दो हफ्ते पहले से बंगला देश में जोभी घटनाक्रम चल रहे है ! उसका भारत में उन हिंदूओं के जानमाल की चिंता की जगह, भारत के हिंदूत्ववादी जिस तरह से तोड-मरोडकर घटनाओं को सोशल मीडिया पर पेश कर रहे हैं ! और परसों नासिक में बंद की घोषणा की गई ! तथा उसी की कडी में पडोस के जिले के वैजापूर, येवला, श्रीरामपूर मतलब अहमदनगर, औरंगाबाद और नासिक इन तीनों जिलों में बंगला देश की आड़ में वर्तमान सत्ताधारी दल के लोगों द्वारा जो गैरजिम्मेदाराना हरकत की जा रही है !
और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री खुद उन जगहों पर जाकर आग में घी का काम शुरू किया है ! उसे देखते हुए मेरा आकलन है, कि आने वाले दिनों में भारत में जो भी विधानसभाओं के चुनाव घोषित किए गए हैं ! उनके लिए किए जाने वाले प्रचार में बंगला देश के हिंदूओं के आड में धार्मिक ध्रुवीकरण करते हुए ही चुनाव प्रचार करने की कोशिश होगी ! क्योंकि भाजपा के दस साल से केंद्र से लेकर विभिन्न राज्यों में चल रहे सरकारों के पास लोगों के रोजमर्रे के कोई भी विषय नही होने की वजह से भाजपा ने जैसे लोकसभा चुनाव में खुद प्रधानमंत्री ने अपना पूरा चुनाव प्रचार सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण करते हुए किया है !
और हमारे संविधान की शपथ ग्रहण करने के बाद भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री यही हथकंडे अपनाते हुए अपनी चुनावी नैया को पार करने की कसरत कर रहे हैं ! और महाराष्ट्र में उसकी शुरुआत हो चुकी है ! भले ही भाजपा विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ दल बन जाता हो ! लेकिन भारत की एकता और अखंडता की किमत देते हुए ?
डॉ. सुरेश खैरनार एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हैं, और वह राष्ट्र सेवा दल से जुड़े हैं, जो एक सामाजिक संगठन है जो मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और सामुदायिक विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। डॉ. खैरनार विभिन्न पहलों और आंदोलनों में शामिल रहे हैं, जिनमें हाशिये पर पड़े समुदायों की वकालत, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को बढ़ावा देना और सामाजिक और आर्थिक समानता के लिए समर्थन शामिल है। उन्होंने सार्वजनिक चर्चा और जागरूकता में योगदान देते हुए इन विषयों पर लेख और किताबें भी लिखी हैं।
[लेखक द्वारा व्यक्त किए गए विचार पूरी तरह से उसके अपने हैं, और न्यूज़नेट के संपादक और टीम के नहीं हैं]