आज पर्यावरण तथा अपने शहर को दूषित होने से बचाना एक चिंतनीय विषय बन गया है। इसलिए लोग तरह-तरह के उपायों को अपना रहे हैं जो कि वातावरण और मनुष्य दोनों के हित में हो।
कुछ दिनों पहले ही खबर आई थी कि बोधगया के सेवाबीघा गाँव में स्थित पद्मपाणि स्कूल में बच्चों से फीस के बदले उन्हे कचड़ेदान मे कचड़ा डालने को प्रेरित किया जाता हैं। उस स्कूल के बच्चे घर से स्कूल पहुँचने तक के रास्ते में जीतने भी कचड़े मिलते हैं, उन सभी को जमा करके स्कूल के बाहर रखे कूड़ेदान में डालने के बाद स्कूल में प्रवेश करते है। यह कदम उस स्कूल के बच्चों द्वारा वातावरण और पर्यावरण को शुद्ध करने तथा बच्चें मे ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण के प्रभाव को नज़रअंदाज़ न करते हुये पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाना है ।
हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग करना हानिकारक है क्यूंकी यह कभी गलता नहीं और यदि इसे जलाया जाए तो वह हवा को काफी प्रदूषित करता है। इसलिए छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर नगर निगम ने अपने शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए ‘गार्बेज कफ़े’ खोलने वाला है, इसके अनुसार अगर कोई गरीब या कबाड़ीवाला प्लास्टिक जमा करके देता है तो उसके बदले में मुफ्त का भोजन दिया जाएगा।
लेकिन हालिया खबरों के मुताबिक “अम्बिकापुर नगर निगम के विपक्ष के लोगों ने इस कार्यक्रम कि आलोचना भी कि है क्यूंकी अम्बिकापुर सफाई मे दूसरे स्थान पर है। तथा कबाड़ीवाले को प्लास्टिक के बदले मुफ्त मे भोजन देने जैसी डॉ॰ रमन सिंह कि योजना पहले से ही है जो 1रु प्रति किलोग्राम अनाज प्रदान करती है। और यह पहल जल्द कि खत्म हो जाएगी” एएमसी में विपक्ष के नेता जनमेजय मिश्रा ने कहा।
इस संदर्भ में आम लोगों ने अपने विचार दिये मनोज कुमार का कहना था कि ‘आज कल इंटरनेट का जमाना है और लोग सिर्फ फोन से लोगों के बीच जागरुगता फैलाना चाहते है लेकिन कोई खुद से कुछ करने का पहल नही करता है। लेकिन बोधगया और छत्तीसगढ़ के लोगों ने कम से कम पहल तो कि’। वहीं सोनी कुमारी का कहना है कि ‘कुछ कबाड़ीवाले को पैसे मिलने पर वे सारा पैसा शराब पीने मे लगा देते है लेकिन यह ‘गार्बेज कैफ़’ खुलता है तो उसे पैसे न मिल कर खाना मिलेगा जिससे उनके पास शराब के लिए पैसे नहीं बचेंगे तो मैं यह कह सकती हूँ कि यह एक अच्छी पहल होगी’।
प्रीति दयाल