जागरूकता, मरीजों की पहचान और ससमय उपचार से मानसिक रोग से मुक्ति संभव

जागरूकता, मरीजों की पहचान और ससमय उपचार से मानसिक रोग से मुक्ति संभव

“बच्चों के बीच जागरूकता, मरीजों की पहचान और ससमय उपचार से मानसिक रोगों पर लगाम लगाकर उससे मुक्ति संभव है. मानसिक स्वास्थ्य वर्क फ़ोर्स का गठन कर समुदाय में जागरूकता की अलख जगाई जा सकती है ”, उक्त बातें डॉ. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष, मानसिक स्वास्थ्य विभाग, इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने वेबिनार में मानसिक स्वास्थ्य की महता के बारे में जानकारी देते हुए कही.

“आस्क द डॉक्टर” सीरीज के तहत यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एवं इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संसथान मिलकर वेबिनार का आयोजन किया । वेबिनार में किशोर किशोरियों और सहयोगी संस्थानों एवं स्वामसेवी संस्थाओं ने भाग लिए । प्रतिभागियों के अलावा बाल गृह के बच्चें एवं दिव्यन्ग्जनों सहित करीब 400 लोगों ने वेबिनार में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और विशेषज्ञों द्वारा अपने सवालों के जवाब पाया ।


टीकाकरण के प्रभाव से कम हुई अस्पतालों में भर्ती:


वेबिनर को संबोधित करते हुए राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एन.के.सिन्हा ने बताया कि राज्य में 11.39 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है और टीकाकरण के कारण ही ज्यादातर संक्रमित व्यक्ति अपने घरों में मामूली सावधानी रखकर स्वस्थ हो रहे हैं ।

राज्य में किशोर समूह का टीकाकरण भी जारी है और अभी तक करीब 43 लाख किशोरों का टीकाकरण किया जा चुका है जो की लक्षित समूह का करीब 55 प्रतिशत है ।

किशोर किशोरियों के लिए टीका के दोनों डोज को तय समय में लगाना आवश्यक है जिससे की वे संक्रमण से सुरक्षित रह सकें. डॉ. सिन्हा ने बताया कि बच्चे अपने परिवार के लोगों को अपनी जिद्द से टीकाकरण एवं कोविड अनुरूप आचरण कराने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
राज्य में कोरोना संक्रमण से रिकवरी दर हुई 98.22%:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि राज्य में लोग संक्रमित होने पर भी तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं और यह टीकाकरण की वजह से संभव हो पाया है। ज्यादातर लोगों में बहुत हलके लक्षण नजर आ रहे हैं जी कि घर में रहकर ठीक हो जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में कोरोना संक्रमण से ठीक होने वालों की प्रतिशत बहुत ही उत्साहवर्धक है और यह राज्य के रिकवरी दर से स्पष्ट है जो इस समय 98.22% है।

साईन लैंग्वेज से किया गया मूक बधिर प्रैभागियों से संवाद:

वेबिनार में पहली बार मूक बधिर प्रतिभागियों से संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से वेबिनार में साईन लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया. विशेषग्य राखी रमोला ने साईन लैंग्वेज के माध्यम से लोगों तक वेबिनार की बातें पहुंचायी और सभी ने इस पहल की तारीफ की।
कोविड संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम-


वेबिनर को संबोधित करते हुए यूनिसेफ के डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी ने बताया कि ओमिसंक्रमण का प्रसार तेजी से जरुर हुआ है लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट की तरह घटक साबित नहीं हुआ है।

संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सभी तैयारी कर ली है. वहीँ प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. प्रिय कुमार, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट, इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने बताया कि कोरोनाकाल में बच्चों की घर में कैद रहने से उनके दिमाग में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

इस समय उनपर विशेष ध्यान रखने और उनसे निरंतर संवाद बनाये रखने की जरुरत है।

वेबिनार का संचालन करते हुए निपूर्ण गुप्ता, संचार विशेषग्य, यूनिसेफ ने बताया कि अभी आशा का संक्रमण फैलाने की जरुरत है कोविड का नहीं।

उन्होंने प्रतिभागियों से “युवाह” कार्यक्रम से जुड़ने की अपील की जिससे की उनमे जागरूकता बढ़ने के साथ जोश का संचार हो और वे मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें. इसके लिए निपुण गुप्ता ने व्हाट्सएप नंबर 9650514141 के बारे में बताया जिसपर ywnxt टाइप कर युवा कोविद के बारे में सटीक जानकारी, संक्रमण के बारे में भ्रामक न्यूज़ को समझकर सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

साथ ही इस ग्रुप के माध्यम से अपने आस पास लोगों को जोड़कर टीकाकरण एवं अन्य सुविधाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वेबिनार में प्रतिभागियों ने उपस्थित विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों से अपने सवाल कर उनका जवाब पाया. उन्होंने प्रतिभागियों की सहूलियत के लिए निमहांस, बंगलुरु द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 080- 46110007 प्रतिभागियों से साझा किया।

Source: Unicef Bihar