पवित्रता की पहचान गंगा- जिसने न जाने कितने लाखों लोगो के पाप धोए , आज वह खुद ही दूषित हो चुकी है। बक्सर -बिहार के पश्चिम भाग में गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह शहर अपने धर्मिक स्थलो की भव्यता के लिए जाना जाता है। गंगा नदी पर बसे इस शहर की गंगा ही प्रर्दूषित एवं विलुप्त होने के कगार पर है। राम रेखा घाट हो या शिव मंदिर यहाँ की गंगा पुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। कारखाने से निकलते रसायनिक तत्व , घरो से निकलती गंदगी और प्लास्टिक के पदार्थ ने इसे पूरी तरह से दूषित कर दिया है। कहते है- गंगा आस्था का प्रतीक है लेकिन इसी प्रर्दूषित पानी को आस्था के नाम पर मंदिरो मे चढ़ाया जाता है। लोग इस पानी मे नहाते है और यहाँ की आधी आबादी इसी पानी को पी रही है।
एसा प्रतीत होता है की यहाँ की नगर पालिका पूरी तरह से ठप है और सारे कर्मचारी सो रहे है- यहाँ गंगा मे आपको मानव एवं पशु के शव तैरते मिलेंगे। सरकार की ओर से न जाने कितने राशि गंगा के सफाई के नाम पर मोहया की जा रही है, पर सफाई का कोई नामो-निशान नहीं है।
अजय प्रसाद जो की मंदिर के बाहर पुजा सामाग्री बेचते है, उनका कहना है – गंगा पवित्र है, इस का जल हर चीज़ को पवित्र कर सकता है। इसमे जो भी वस्तु डाली जाती है, वो भी पवित्र हो जाता है। हम हर दिन गंगा मे स्नान करते है और तन मन को पवित्र कर लेते है।
वही पर के साधु काली-नारायण दास कहते है – वह पिछले ३० सालो से घाट पर रह रहे है। पर पिछले ३ सालो से गंगा जितनी दूषित हुई है, वह बहुत शर्मनाक है। वे कहते है की जितने भी श्रधालु आते है- नहाने, मुंडन या पुजा करने के लिए वे सारे कचड़े और गंदगी गंगा मे ही फेकते है। यहाँ सालो से लाशे देखी जा रही है ना कोई बोलने वाला है, न कोई सफाई करने वाला और नगर पालिका के कर्मचारी को भी घाट की सफाई से कोई मतलब नहीं है। गंगा की सफाई बस एक राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। अगर सच मे गंगा की सफाई करनी है तो पहले खुद आकर सहयोग करे और मे भी इसमे मदद करूंगा।
वहाँ आस- पास के बस्ती के जीतने लोग है, उसी गंदी पानी का उपयोग अपने घर के सभी कामो को करने के लिए करते है। इस वजह से उनके स्वस्थ पर असर पर रहा है। इन लोगों की समस्या और गंगा की गंदगी सरकार दोनों ही नज़रअंदाज़ कर रही है। गंगा के नाम पर योजनाए तो बहुत सारे है पर वह सिर्फ कागज़ो पर ही दिखते है।
निहाल कुमार दत्ता
संत . ज़ेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी
इस वैज्ञानिक युग में, घोर अंधविश्वास! बिहार में शिक्षा का स्तर अति सोचनीय है। किसी ने सही कहा है, धर्म जनता का आफ़ीम है।
A real representation we use ganga water as holy water but its not pure for us