ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट मे हुई, ह्यूमन राइट्स: टेक्स्ट एंड कोनटेक्सट बुक की प्रक्षॆपण

ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट मे हुई, ह्यूमन राइट्स: टेक्स्ट एंड कोनटेक्सट बुक की प्रक्षॆपण

पटना में शूक्रवार को शाम  6 बजे ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट में एक प्रेस कांफ्रेंस हुई। ये प्रेस कांफ्रेंस सुभाष शर्मा की किताब “ह्यूमन राइट्स टेक्स्ट एंड कंटेक्सट” के प्रक्षेपण के लिए रखी गयी थी। कांफ्रेंस में हाई कोर्ट की माननीय जज अंजना मिश्रा चीफ गेस्ट के तौर पर मौजूद थी। इस कांफ्रेंस के स्पीकर, पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर शंकर आशीष दत्त थे।

कनफेरेंस मे शंकर आशीष दत्त ने किताब का स्पस्टीकरण करते हुए कहा की यह  किताब में बताया गया है की हम इंसान तो ये निर्धारित जरूर करते है की हम लोग इस सृष्टि के सबसे बुद्धिमान जीव है परन्तु इस सृष्टि के बाकि जीवो के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते है।

उन्होने इस किताब के बारे में और बताते हुए कहा की इस किताब में दो तरह के हिंसा का जिक्र किया गया है। पहला, सब्जेक्टिव वायलेंस और दूसरा ऑब्जेक्टिव वायलेंस।

सब्जेक्टिव वायलेंस के तहत उन्होंने लीचींग और शारीरिक शोषण की बात की है और इस मुद्दे को अच्छे से प्रकाशित किया है।

ऑब्जेक्टिव वायलेंस के तहत उन्होंने सिंबॉलिक वायलेंस और सिस्टेमेटिक वायलेंस की बात की है। सिंबॉलिक वायलेंस को समझाते हुए उन्होंने  कहा है की ये एक ऐसी ताकत है जो हमें बतलाती है की हम किसी हिंसा के खिलाफ कौन सी ताकत का इस्तेमाल कर सकते है।

SEE ALSO  A Dalit Child’s Tragedy Exposes India’s Hollow Promises on Human Rights

सिस्टेमेटिक वायलेंस के बारे में उन्होंने कहा है की ये हिंसा का एक ऐसा रूप है जो किसी संस्थान के काम करने के तरीके पे किया जाता है। ये संस्थान  ज्यादातर शहर के सरकार के आर्थिक या प्रशासनिक विभाग होते हैं, और यही हम देखते भी है जब भी हम स्मार्ट सिटी क बारे में बात करते है। जब दिल्ली मे कॉमन वेल्थ गेम्स रखा गया था तब वो पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था पर जिन्होंने ये खेल का वहां आयोजन किया था वे मौन खड़े थे।

इसके बाद उन्होंने कुछ और मानव अधिकार के बारे में विस्तार से बात की उनमे कुछ है, अनस्टॉपर्स लॉ ऑफ़ लोजिक, पब्लिक स्फेयर, इत्यादि।

इसके बाद किताब के बारे में उन्होंने संक्षिप्त में बताते हुए कहा की 252 पेज की ये किताब में मानव अधिकार के बारे में बात की गई है जो की हर वर्ग, समुदाय, धर्म, जाति, लिंग या शैक्षिक योग्यता के लिए सामान है।

इसके बाद उन्होंने रिग वेद के बारे में बताते हुए कहा की एक राजा को हर समुदायी के प्रति एक समान होना चाहिए, आर्य और शूद्र के‌ भाती।

अंतिम में उन्होंने मणीयस्मृति के बारे में बात की जिसमे उन्होंने कहा की जिस जगह स्त्री पूजनीय मानी जाती है वहां भगवान का वास होता है और जहाँ स्त्री की बचपन में पिता के द्वारा रक्षा और सम्मान की जाती है, जवानी में पति के द्वारा रक्षा की जाती है, और बुढ़ापे में बेटे के द्वारा रक्षा, सेवा और सम्मान की जाती है वो जगह सच्चे रूप से अपने मानवीय हको और दायित्वः का निर्वाह करता है।

SEE ALSO  A Dalit Child’s Tragedy Exposes India’s Hollow Promises on Human Rights

इसके बाद उन्होंने किताब के बाकी पाठों के बारे मे कहा की वे मानव सोच को कब्ज़ा कर उनमें आने वाले नकारात्मक सोच को बदल सकने की ताकत और निति पर निर्धारित हैं।

उनहोने इस पाठ के अंत के बारे में बताते हुए फिर कहा की ये पाठ मानव अस्तित्व के दो गुणों, शांतिपूर्ण और सार्थकता के ऊपर निर्धारित है।

मधुकर आनंद

इनर्टन