पटना में 14 जुलाई को प्राइड परेड (गौरव यात्रा) कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा हैं। जिसकी चर्चा सभी तरफ हो रही है। गौरव यात्रा का मुख्य उद्देश्य वजूद और मौजूदगी को दर्ज कराने के लिए है एवं सुरक्षा, सम्मान, और रोजगार के अधिकार के लिए है। यह साहित्य समेलण्ण, कदम कुआं से शुरू होकर प्रेमचन्द्र रंगमंच तक जाएगा जिसमे 500 मिटर का झण्डा होगा जो खुद मे एक अभिलेख होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद मंगलवार को संत जेविएर्स में गौरव यात्रा के बारे मे बताते हुये कहती है की समाज मे जहाँ लिंग भेद –भाव और नफरत चारों तरफ फैल रहा है इस नफरत को हमे कम करना होगा। मानव अधिकार सभी को समान रूप से मिले इसी को ध्यान में रखते हुये गौरव यात्रा का आयोजन हो रहा हैं।
वह अपनी एक बीती हुई घटना बताती है कि कुछ दिन पहले एक शादी मे कुछ लोगो ने किन्नर होने कि वजह उनके साथ फोटो खिचवाने से मना कर दिया था।
मिस प्रसाद बताती है कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 14, 15, 17, 22 किन्नरों के लिए है। अनुच्छेद 14 में अभिवयक्ति कि स्वत्रंता, अनुच्छेद 15 मे लौंगिग समानता का अधिकार, अनुच्छेद 17 में समानता का अधिकार, अनुच्छेद 22 में कुछ दिशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण का अधिकार दिया गया हैं पर यह सब पन्नो पर रह गया है। वह कहती है “ हम भी आगे बढ़ना चाहते हैं, सरकार के पास भी जाते है तो कोई कुछ नहीं समझता और न ही कोई मदद मिलती है”।
रेशमा प्रसाद, दोस्तना सफर की निर्देशिका है वह 2010 में पटना आई थी और यहाँ आ कर यह मुहिम शुरू की। उनका कहना है की एक यौन हो या किन्नर यहाँ हर तरह के लोग हैं और ये जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला हैं।
नेहा निधि