अब बचपन मोबाइल फोन तक ही सीमित

महोदय अब वो शाम कहाँ, वो बचपन की शैतानियाँ कहाँ, स्कूल जाने की मजबूरी और खेलने के लिए सुबह से शाम की दूरी। वक़्त बदलने लगा है, अब बच्चों की नादानी, बच्चो का बचपना खो सा गया है और ना ही मासूमियत बची है। सुबह से शाम हो जाते हैं और आराम-हराम हो जाता हैं, […]