कुछ समय पहले मीडिया नाम सुनते ही लोगो मे एक विश्वास दिखता था। देश की जनता मीडिया की हर खबरों पर आँख बंद कर भरोसा करती थी। मीडिया मे सरोकार की भावना थी, निष्पक्षता उसका मूलरूप हुआ करता था, पर अब नज़ारा कुछ बदल सा गया है। मीडिया अब व्यापारी संस्था मे बादल चुकी है जहाँ नंबर 1 होने की होड़ चल रही है जिसके कारण मीडिया छोटी छोटी बातों को बड़ा-चड़ा कर पेश करती है। झूठी और अफवाह भरी खबरों से बाज़ार भरा पड़ा है। इन खबरों को इस तरह फैलाया जाता है मानो वो सच हो और कई लोग इन खबरों पे विश्वास भी करते है।
हाल ही मे आई खबर थी की इस बार लोकसभा चुनाव में वोट न डालना महंगा पड़ जाएगा। वोट न डालने वालों की पहचान आधार कार्ड से होगी और उस कार्ड से लिंक्ड उनके बैंक अकाउंट से 350 रुपये कट जाएंगे और जिन वोटर्स के बैंक अकाउंट में 350 रुपये नहीं होंगे या जिनके बैंक एकाउंट नहीं होंगे उनसे यह पैसा मोबाइल फोन के रिचार्ज के वक्त कट जाएगा। इसके लिए मिनिमम 350 रुपये का चार्ज कराना होगा, इससे कम रकम से फोन रिर्चाज ही नहीं होगा। कोई वोटर इस आदेश के लिए कोर्ट न जाए, इसको ध्यान में रखते हुए आयोग ने पहले ही कोर्ट से मंजूरी ले ली है। इसके खिलाफ अब याचिका भी दायर नहीं हो सकती।
यह खबर को पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है की सत्य है और खबर की कटिंग फेसबुक, वाट्सप्प पर छाई हुई है पर इस खबर मे कोई सच्चाई नही है लेकिन सोश्ल मीडिया पर इसका खूब प्रचार हो रहा है । यह खबर बस एक मज़ाक था जिसमे लिखा था बुरा न मानो होली है। ऐसी ही और भी खबरे है जो लोगो को गुमराह करती है और समाज मे दंगे करवाती है इन कारणो से मीडिया पर से लोगो का विसवास हटता जा रहा है और यह मीडिया कर्मियों के लिए विचारणीय है। देश के नागरिकों को आँख बंद कर के किसी भी खबर पर विश्वास नहीं करना चाहिए बल्कि खुद से हर खबर को परखना चाहिए ।