कुष्ठ रोगियों का इलाज़ कर रहे पटना के पाँच ब्रदर्स

कुष्ठ  रोगियों का इलाज़ कर रहे पटना के पाँच ब्रदर्स

मदर टेरेसा सभी को ‘प्रेम का वाहक’ कहती थी। उनका मानना था कि खुद को गरीबों की सेवा में समर्पित कर देना मनुष्य के जीवन का मुख्य लक्ष्य है। मदर टेरेसा के इन्हीं विचारों से प्रेरित हो कर ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी ब्रदर्स’ गठित हुआ।  पटना के ढीबरा में , पटना शहर  के एकदम बाहरी हिस्से में बना कुष्ठ रोगियों (लेपरोसी पेशंट ) के लिए एक औपचारिक केंद्र ये मिशनरी  ब्रदर्स द्वारा चलाया जा रहा है।

1963 में ब्रदर् एंडरू ने मदर टेरेसा के साथ ऑस्ट्रेलिया में मिशनरी ब्रदर्स ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। मदर टेरेसा ब्रदर्स के बारे में कहती थी ‘वे गरीबों के दोस्त हैं , खासकर वैसे गरीब जिनको आपनो ने ही ठुकरा दिया है।’ इन्हीं विचारों के नक्शे कदम पर चलते हुए 5 ब्रदर्स ने कुष्ठ रोग पीड़ित और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों की सेवा करना शुरू किया था। ये कैथॉलिक ईसाई समुदाई चलित संस्था पूरी तरह से दान-पुण्य पर चलती है।

कुष्ठ रोगियों और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों की बुनियादी आवश्यकता के लिए 25 कर्मी कार्यरत हैं । हालांकि इलाज़ तो खुद ब्रदर्स ही करते हैं। पारामेडिकल डिग्री प्राप्त ब्रदर एंथनी एम.सी. और ब्रदर ऑगस्टस एम.सी. इन लोगों का सेवा करते हैं। सिर्फ संस्थान में मौजूद रोगी ही नहीं, बल्कि आस-पास के गरीब भी ब्रदर्स से इलाज़ करवाने आते रहते हें। महीने भर में 500 लोग आते जाते हैं और इलाज के लिए पैसे नहीं लिए जाते है, यानि सेवा मुफ्त में होता है।

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ब्रदर सुजीत किनदो, जो कि मूल रूप से ओड़ीसा के हैं, संस्थान के गठन की शुरुआत से ही यहाँ लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। बाद में ब्रदर देवनीश, जो की छत्तीसगढ़ के हैं, इससे जुड़े।

मरीजों की देख – भाल

यहाँ संस्थान के अंदर ज्यादातर हिस्से में पेड़-पौधे लगे हुए हैं जिनकी देखभाल, अपनी उदासी मिटाने के लिए , यहाँ के मरीज करते हैं। यहाँ की एक इमारत में कुष्ठ रोगी रहते हैं, और इसी में इनका इलाज़ होता है। सभी के लिए अलग-अलग बिस्तर है और दोनों कमरों मे टी.वी. लगा हुआ है।  टी.वी. देखने से इनका मन बहल जाता है। दूसरी इमारत के एक हिस्से में मानसिक रूप से बीमार मरीज और दूसरे हिस्से में ब्रदर्स का निवास और प्रार्थना स्थल है।

यहाँ मरीजों के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है। सुबह कर्मियों की मदद से नहा धो कर सभी मरीज प्रार्थना करते हैं जो की एक घंटे चलती है। 7:30 बजे नाश्ता होता है जिसके बाद सभी निवासी बागवानी करते हैं। फिर 11 बजे दोपहर का खाना, शाम में प्रार्थना और 7:30 बजे फिर खाना खा कर ये सो जाते हैं। इन सभी चीजों का ध्यान ब्रदर्स खुद रखते हैं।

कुष्ठ रोग और मानसिक विकलांगता ऐसी बीमारियाँ हैं कि इनके हो जाने पर अपने परिवार के ही लोग आपको हीन दृष्टि से देखने लगते हैं। कई बार तो लोग ऐसे मरीजों को बोझ समझ कर घर से निकाल देते हैं।  आज भी ज़्यादातर लोग कुष्ठ रोग को छुआ-छूत कि बीमारी समझते हैं और इसके मरीजों के आस-पास भी नहीं भटकते। हालांकि जब तक आप एक अमीर व्यक्ति हैं तब तक तो ठीक है, मगर दुर्भाग्य से आप गरीब हैं तो इसका इलाज़ एक सपना ही रह जाता है।

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ढिबरा गाँव में, फुलवारी के पास, कुछ ऐसे ही अत्यधिक गरीब और उपेक्षित मरीजों कि देखभाल और मुफ्त में इलाज़ कर रहे हैं  ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी ब्रदर्स’ के पाँच ब्रदर्स।

तान्या त्रिवेदी

One Response to "कुष्ठ रोगियों का इलाज़ कर रहे पटना के पाँच ब्रदर्स"

  1. Amrit Alfred   July 25, 2019 at 8:22 pm

    It’s such a marvellous job that MC brother or Missionaries of charity is doing . I feel such an honour because i also got the chance to work with Leprosy patients in Muzzaffarpur. In The Leprosy mission hospital Muzzaffarpur, i spent 6 days and worked there. I thank Lord because i got the chance to interact with Leprosy patient and while working over there i realised that how society abandons them , even their own family doesn’t come to visit them.