“अंतराष्ट्रीय युवा दिवस” : क्या सच में युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझ रहे है?

“अंतराष्ट्रीय युवा दिवस” : क्या सच में युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझ रहे है?

12 अगस्त, जिस दिन हर साल मनाया जाता है “अंतराष्ट्रीय युवा दिवस” और इस साल का विषय है “ट्रान्स्फ़ोर्मिंग एजुकेशन” अर्थात ऐसी शिक्षा जो युवाओं में सही परिवर्तन लाये। आज के युवाओं  को ऐसी शिक्षा दी जाए जिस से वो अपनी मंज़िल पा सके साथ ही उनका भविष्य उज्जवल हो।  

जहां हमारे समाज में हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है वहीं आज के युवा भी इसमें आगे बढ़ रहे चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या खेल जगत हो। देश की बढ़ोतरी में युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, वो समाज की “रीढ़ की हड्डी” की तरह होते है। जिस तरह हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी का रहना बहुत आवश्यक होता है, उसी तरह समाज में युवाओं का रहना भी बहुत जरूरी है। कहा जाता है की रीढ़ की हड्डी के बिना शरीर खड़ा नहीं रह सकता है उसी तरह समाज भी युवाओं के बिना समाज खड़ा नहीं रह सकता है, देश को आगे ले जाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है, पर क्या सच में आज के युवा देश का भविष्य बना रहे है? क्या सच में वो अपना योगदान दे रहे है देश की प्रगति में? क्योंकि आज के युवा ज़्यादातर अपनी मंजिल को पाने के लिए गलत राह को चुन रहे है, कोई ड्रग्स की लत में है तो कोई सिगरेट पीकर जिंदगी काट रहा है और कुछ युवा ऐसे भी है जो “नशीली सी नशीली” पदार्थ का सेवन कर रहे है, तो कोई भ्रष्टाचार की ओर कदम बढ़ा रहा है जिसके चलते वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते है और अपनी जान भी गवा देते है। नशे की लत के कारण शारीरिक रूप से कमजोर भी हो जाते है इसका कारण है युवाओं में शिक्षा की कमी ।   

युवाओं को इन सब परेशानियों से निपटाने के लिए सही मार्गदर्शन के साथ साथ अच्छी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। अंतराष्ट्रीए युवा दिवस मनाने का उद्देश्य है की  युवाओं से जुड़े मुद्दे और उनकी परेशानियों की तरफ ध्यान आकर्षित करना, इसलिए ऐसा कोई होना चाहिए जो उन्हे सही राह दिखाये, सिर्फ आज नहीं, हर उस वक़्त जब वो गलत राह पर जा रहे हो। जरूरी है तो उन्हें सही संगति में रखने की, जरूरी है तो सही शिक्षा देने की। उनसे बात करके उनकी परेशानियों को समझने की।

अगर माता-पिता, गुरु, मित्र आदि अगर एक दूसरे को सही शिक्षा दें और सही जागरूकता फैलाएँ इसके साथ युवा भी अपने कर्तव्य को समझ जाए एवं देश के निर्माण में अपनी भागीदारी दिखाये, समय का सही सदुपयोग करें, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाए साथ ही अपने विद्यार्थी जीवन से ही अनुशाशन का पालन करना सीख जाये तथा संयम से कोई भी निर्णय ले, अपनी ज़िम्मेदारी को समझ जाये तो समाज के उत्थान की तरफ हमारा यह पहला कदम होगा। अगर यह परिवर्तन देश के युवाओं में आ जाए साथ ही अपनी जिम्मादारियों को समझ जाये तो सही मायने वही दिन “युवा दिवस” कह लाएगा।

शाम्भवी