स्तनपान, जो कि शिशु और माँ दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। जहाँ किसी भी नवजात शिशु के लिए स्तनपान उसके शरीर में रोग – प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है तथा यह बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायता करता है। वहीं स्तनपान माँ को भी भविष्य में दिल का दौरा, स्तन कैंसर, अंडाशय कैंसर आदि के होने वाले खतरे को भी कम कर देता है।
इन सारे फ़ायदों के बावजूद कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनको स्तनपान के बारे में गलत अवधारनाएं हैं तथा वे अपने बच्चों को स्तनपान से वंचित रखती हैं। इसलिए स्तनपान के फायदें, बढ़ोतरी तथा महिलाओं में जागरूकता फैलाने के लिए, पूरे विश्व में 1 से 7 अगस्त तक ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ मनाया जाता है। तथा भारत में भी यह सप्ताह प्रति वर्ष मनाया जाता है तथा 2019 में इसका विषय ‘सशक्त अभिभावक सुगम स्तनपान आज एवं बेहतर कल के लिए’ है। इसका लक्ष्य स्तनपान कि नीतियाँ एवं कार्यक्रमों के बीच का अंतर मिटाना, आधा – अधूरा स्तनपान हमें बहुत महंगा पड़ेगा, स्तनपान में वृद्धि हो तथा लोगों के बीच इसके बारे में जारूकता फैलाना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनिसेफ़ के अनुसार बच्चों के समुचित स्वास्थ्य, उत्तरजीविता, पोषण और विकास के लिए चार कार्य आवश्यक है – (1) बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कराये (2) पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान (3) 6 माह पूरे होने पर घर का ही आहार दें तथा 2 या इससे अधिक अवधि का स्तनपान जारी रखें तथा (4) जन्म के तुरंत बाद बच्चे का माँ से चिपका होना।
विख्यात मेडिकल जर्नल लैनसेट के अनुसार भारत में सिर्फ 55% बच्चों को माँ का दूध 6 माह तक मिलता है और सिर्फ 41% जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कर पाते हैं।
प्रतिवर्ष स्तनपान के अभाव में बच्चों में निमोनिया, डायरिया, मोटापा आदि के कारण लाखों, करोड़ों बच्चों कि मौत होती है तथा माताओं को अंडाशय और स्तन कैंसर का शिकार बनना पड़ता है। भारत में स्तनपान कि कोई भी सफल सरकारी नीति या कार्यक्रम भी नहीं है जो स्तनपान को बढ़ावा दे सके। ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ और ‘माँ’ प्रोग्राम स्वास्थ्य केन्द्रों के होते हुए भी आज भी स्तनपान से जुड़ी कई परेशानियाँ हैं तथा प्राकृतिक आपदाओं के लिए कोई नीति भी नहीं है।
इस वर्ष स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य है कि महिलाओं को समर्थकारी वातावरण दें ताकि स्तनपान में वृद्धि हो। भारत में 3 क्षेत्रों में नीतियों और कार्यक्रमों पर ध्यान देने कि आवश्यकता है (1) शासन (2) संसाधन तथा (3) स्वास्थ्य केन्द्रों कि सेवाएँ तथा प्राकृतिक आपदाओं में नीतियाँ।
इस सप्ताह स्तनपान से जुड़े कई कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे स्तनपान में बढ़ोतरी हो जैसे कि –
- IYCF ( Infant and Young Child Feeding ) की राष्ट्रीय संचालन समिति को सक्रिय बनाना,
- अस्पतालों में स्टाफ की नियुक्ति करना तथा निजी अस्पतालों की भागीदारी होना
- सभी स्तनपान से जुड़ी नीतियों एवं कार्यक्रमों को सक्रिय करना तथा रूपरेखा तैयार करना
- प्राकृतिक आपदाओं में स्तनपान में मदद करना
- घर – घर जा कर सभी लोगों को स्तनपान के फायदें बताना, समाचार के द्वारा सूचना देना तथा सक्रिय कार्यो को सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को दर्शा कर स्तनपान को बढ़ावा देना
- स्तनपान के अभाव से होने वाली हानियों को सूचित करना आदि।
कई सारे कार्यक्रमों को प्रभाव में लाया जाएगा।
विश्व स्वस्थ्य संगठन का लक्ष्य पूरी दुनिया में 6 माह तक सम्पूर्ण स्तनपान को 2012 के 38% से 2025 तक 50% बढ़ाने का है वहीं भारत में 59.4% से बढ़कर 65.7% तक पहुंचाना है।
प्रीति दयाल