पटना जिले के फुलवारी शरीफ में नागरिकता कानून पर रोक लगाने के प्रदर्शन पर गोली चलाने, पथराव एवं हत्या घटना की तथ्यपरक अध्ययन रपट जनतंत्र समाज बिहार की एक टीम राष्ट्रीय जनता दल के आवाह्न पर फुलवारी शरीफ में घटना का अध्ययन करने 5 एवं 6 जनवरी को गई और घटना स्थल का निरीक्षण किया। मृतक एवं घायलों तथा उनके परिवार से मिलकर पूरी वस्तु स्थिति को समझने का प्रयास किया।
लोगों से बात करने पर यह जानकारी मिली की 19 दिसंबर को वामपंथी दलों द्वारा बंद के दौरान फुलवारी शरीफ में जुलूस निकलना चाहते थे परन्तु किसी कारण से वह टल गया। 21 दिसंबर को फुलवारी शरीफ में करीब दस हज़ार लोग अपने घरों से निकले और जुलुस में शामिल हो गए। जुलुस में बड़ी संख्या में युवा थे जो मुस्लिम समुदाय से थे। आर जे डी के आह्वान के वजह से गैर मुस्लिम भी इसमें शामिल हुए थे। जुलूस प्रखंड कार्यालय की ओर जा रहा था। लगभग आधा किलोमीटर चलकर जुलुस जब संगत मोहल्ला तक पहुंचा वहां दो , तीन मंझला एवं दो मंझले मकान के छतों से ईट पत्थर चलने लगे। लगभग जुलुस में भगदड़ मचा और वह अनियत्रित हो गया। जुलुस में शामिल कुछ लोग जबाब में ईट पत्थर चलाने लगे। उसी समय कुछ बंदूक एवं पिस्टल से लैस लोग गली से बाहर आये और जुलुस पर फायरिंग प्रारम्भ कर दी। गोली चलता देख तैनात पुलिस भाग खड़ी हुई। तत्काल गोली से नौ लोग घायल हुए। एक छुरे से घायल हुआ। जिसे पुलिस पीएम्सीएच एवं एआईएम्एस में भर्ती कराई।
उसी दिन 18 वर्षीय आमिर के घर नहीं पाहुचने पिता सुहैल अहमद ने लिखित सूचना थाने को दी। पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। एक पुलिस अधिकारी संजय पांडेय का एक अख़बार में इसके समर्थन वक्तव्य भी आया। जबकि 10 दिनों बाद डी एस पी कार्यालय महज 100 मीटर दूर जलकुंभी से भरे पानी के गड्ढे से आमिर का हाथ में तिरंगा लिए शव बरामद हुआ। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसका पूरा शरीर तेज धारदार हथियार से गोदा गया था तथा सर पर कोई भारी चीज से चोट दर्ज है।
छुरे से घायल पेशे से सिविल इंजीनियर युवक शाहनवाज आलम ने बताया की वह सेंट्रल बैंक एवं पोस्ट ऑफिस से काम कर लौट रहा था तो जुलुस पर पत्थर चलते एवं भगदड़ को देखा। वह घर लौटने के लिए भागा। एक दो मोड़ बाद कुछ खड़े लड़कों ने उसे पकड़ कर पूछा कि वह हिन्दू है या मियाँ। उसने जान बचाने के लिए हिन्दू कह दिया। पर उसकी ताबीज पर उनकी नजर पड़ गई और जोर से कहा अरे यह तो मियाँ है। उसमे से एक लड़के ने छूरा उसके पेट में मारा। चुरा पेट के नीचे लगा और छूरा टूट कर जमीन पर गिर गया। शाहनवाज झटक कर भागा एवं सड़क पर एक बाइक से मदद मांगी पर उसने मदद नहीं की । इतने में उसके पहचान वाले मिल गये उन्होंने उसे मोटरसाइकिल से थाने भेजा जहां से उसे अस्पताल भेजा गया। यदि वह नहीं भाग पाता, तो आमिर की तरह उसकी भी लाश मिलती। शाहनवाज ने कहा कि मारने वाले असमाजिक तत्व के लोग हैं।
घटना घटने के बाद डी एस पी को वहां से कुछ दिनों के लिए हटाया गया एवं पूर्व में वहां कार्यरत कंकड़ बाग़ से डी एस पी रमाकांत प्रसाद को लगाया गया। उन्होंने ततपरता से स्थिति को नियंत्रित किया। उनके नेतृत्व में योजना बनाने वाले तथा गोली चलने वाले कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया ।
जुलुस के दिन से गायब आमिर, के गिरफ्तार हत्यारे की निशानदेही पर मोबाईल और आमिर की लाश बरामद हो पायी। संगत स्थित मंदिर पथराव के वजह से छतिग्रस्त थी। वहां पुलिस तैनात थी। पुलिस ने फोटो डिलीट करने को कहा और पूछ-ताछ करने से रोक दी। हमारे गाड़ियों और हमारे फोटो खीचे वह अपने को जोर- जोर हिन्दू बता रहा था। तभी एक महिला गली से निकली और झूठ कहा कि मुसलमान लोग मंदिर में आग लगा रहे थे। वहां भीड़ जमा हो गई। हमारे साथ एक मार्ग दर्शक थे दूर हटने लगे उन्हें लगा पुलिस उनका किसी केस में नाम डाल देगी। पुलिस की यह छवि कैसे समाप्त होगी इसके लिए गृह विभाग को समुचित कदम उठाना चाहिए। इस घटना से हम निष्कर्ष पर पहुंचे पुलिस फ़ोर्स का सांप्रदायिकरण की कोशिश चल रही जिसपर रोक लगाने की विधि निकालने की जरूरत है।
जनतंत्र समाज बिहार की टीम लोगों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष पर पहुंची कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले लोग समाज में फुट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए विशेष योजना बनाकर 21 दिसंबर को जुलुस पर हमला किया।पूर्व संसद अली अनवर से भी टीम मिली उन्होंने ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने भी स्वीकार किया है कि जुलुस पर हमला सुनियोजित था। विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए बाहर से लोग बुलाये गए थे ऐसा भी अनुमान कुछ लोगों का है। जुलुस पर पत्थर एवं राइफल से हमला करने वाले लोग जुलूस को रोकने के साथ साथ हिन्दू मुस्लिम दोनों समुदाय में अलगाव पैदा करना चाहते थे। इसीलिए गोली चलाने ,पत्थरबाजी करने के साथ छुरेबाजी की भी घटना हुई। परन्तु इनके नापाक इरादे को स्थानीय लोग समझ गए और इन्हे स्थानीय जनता का समर्थन नहीं मिला। प्रशासन भी सचेत हुई।
लोकतंत्र में संवैधानिक तरीके से विरोध दर्ज करने और प्रश्न पूछने का अधिकार जनता को है। परन्तु एक विशेष राजनीति के तहत लोकताँत्रिक अधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है। लोकतान्त्रिक विरोध को रोकने के लिए उनपर हिंसक हमले कराये जा रहे है।
फुलवारी शरीफ में इतनी बड़ी घटना नहीं घटती यदि प्रशासन सचेत रहता । इसके लिए दोषी अधिकारियों को दण्डित किया जाए। टीम को इस बात पर आश्चर्य है कि डी एस पी संजय पांडेय एवं स्थानीय प्रसाशन को बड़े षडयंत्र की पूर्व सूचना थी इसके बावजूद गंभीर कदम नहीं उठाये गए। इतनी बड़ी घटना के बाद डी एस पी को कुछ दिन हटाने के बाद उन्हें पुनः वापस बुला लिया गया। स्थानीय लोगों का उन पर से विश्वास उठ चुका है इसीलिए उनका स्थानांतरण कही और करना चाहिए ताकि निष्पक्षता से आगे की कार्रवाई हो सके।
घटना के बाद सी पी आई एम् एल के अलावा किसी राजनैतिक दल के लोग मृतक और घायल लोगों से सहनभूति जताने नहीं आये। भारतीय संसदीय लोकतंत्र का आधार राजनितक दल है। फुलवारी शरीफ में राजद का कोई बड़ा नेता या सत्ताधारी दल के स्थानीय जद यू के विधायक व राज्य सरकार में मंत्री भी नहीं पहुंचे न घायल लोगों या मृतक के परिवार से मिले। आश्चर्य है कि आर जे डी के नेता भी नहीं पहुंचे जब कि बंद का आवाहन उन्ही का था। इस तरह की उदासीनता लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
टीम की बिहार सरकार से यह मांग है कि मृतक आमिर दंजला के परिवार के भाई को सरकारी सेवा में लिया जाए और गोली से गंभीर रूप से घायल सभी लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। जिनकी सूचि इस प्रकार है –
1 मो मुमताज पिता मो असलम गर्दन में रायफल की गोली
2 मो फैसल आलम उम्र 20 वर्ष पिता मो सैयद आलम गोली दाहिने जांघ में
3 .मो आलम गोली पेट की बाई ओर
4 मो सब्बीर आलम पिता मो सूबेदार गोली दाहिने पैर
5 मो असरफ पिता मो इस्लाम गोली पेट की बायीं तरफ
6 .मो अकबर पिता गोली
7 मो सरूर आलम पिता पैर में गोली तथा पैर टूट गया
8 मो तौसीफ पिता सर के पास
9 . छुरे से घायल सिविल इंजीनियर शहनवाज़ आलम