पटना के गायघाट स्थित महिला रिमांड होम में एक युवती के साथ हुए कस्टोडियल रेप के उजागर होने बाद पटना हाईकोर्ट के द्वारा स्वत: संज्ञान लिए जाने की प्रशंसा करते हुए पद्मश्री सुधा वर्गीज, जानी- मानी सामाजिक-राजनीतिक नेत्री कंचन बाला और सामाजिक कार्यकर्ता तबस्सुम अली , विन्दु कुमारी और प्रतिमा कुमारी ने एक संयुक्त बयान जारी कर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि किसी सिटिंग महिला जज के नेतृत्व में महिलाओं की जांच टीम गठित करें जो महिला रिमांड होम की प्रत्येक युवती से अकेले बात कर रिपोर्ट सुपुर्द करे।
पटनाः राजधानी पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह (After Care Home) की घटना को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने स्वत: संज्ञान लिया है. 31 जनवरी को मीडिया में खबर आने के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया गया है. याचिका को पटना हाईकोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर निबंधित किया गया है. कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन, जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय हैं.
सात फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करने को लेकर नाराजगी जाहिर की है. बताया जा रहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई अब सात फरवरी को होगी. हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग से की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट मांगा है.
लोकतांत्रिक जन पहल द्वारा जारी संयुक्त बयान में उन्होंने यह भी मांग की है कि गायघाट महिला रिमांड होम की प्रभारी वन्दना गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया जाय ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
उल्लेखनीय है कि लोकतांत्रिक जन पहल की एक टीम जिसमें सुधा वर्गीज , कंचन बाला, तबस्सुम अली और बिन्दु कुमारी शामिल थी कल पीड़िता से मिलकर लगभग एक घंटा बात की। पीड़िता गाजीपुर (यूपी) की रहने वाली है। उसने अपनी पूरी आपबीती बताते हुए कहा कि कैसे वह गायघाट महिला रिमांड होम में पहुंची।
पीड़िता ने बताया कि कैसे उसके साथ एवं वहां की लड़कियों के साथ नशा खिलाकर रेप की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। उसने रिमांड होम की प्रभारी पर रेपिस्टों के साथ सांठगांठ करने और नाजायज वसूली करने का भी आरोप लगायी। उसने बताया कि वंदना गुप्ता जबरन गलत काम कराने के लिए होम से बाहर भी लड़कियों को भेजती हैं।
महिला नेताओं ने इस मामले में सरकार, जिला प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारियों के रवैए की कड़ी निन्दा की है और कहा है कि बिना पीड़िता से मिले यह कहना कि यह मामला निराधार है और पीड़िता पर ही लांक्षण लगाना पूरी तरह अवैध व अन्यायपूर्ण है।
क्या है मामला?
गाय घाट स्थित महिला सुधार गृह (उत्तर रक्षा गृह) से जुड़ा हुआ है, जहां से बाहर आई महिला ने सुधार की अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. महिला रिमांड होम से बाहर आने पर सीधे महिला थाने में पहुंची. महिला ने बताया था कि गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह की अधीक्षक वंदना गुप्ता संवासिनों को नशे की सुई देकर अवैध कारोबार करने पर मजबूर करती हैं.
महिला ने कहा कि विरोध करने वाली संवासिनों के साथ मारपीट की जाती है और उन्हें भूखा भी रखा जाता है. उसने कहा कि सुंदर लड़कियां मैडम की फेवरेट हैं. वे उन्हें खूब मानती हैं. जांच के बहाने उन्हें रिमांड से बाहर भेजा जाता है, लेकिन वैसी लड़कियां जो उनकी बात नहीं मानतीं वे उन्हें पहले तो परेशान करती हैं. फिर उन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ बता कर पागल खाने भेज दिया जाता है.
महिला नेताओं ने कहा कि समाज कल्याण विभाग में प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी है। उसकी लापरवाही के चलते ऐसी घटनाओं को अंजाम देना संभव होता है। जांच में विभिन्न स्तर पर कमिटियों में शामिल दोषी अधिकारियों के अपराधों को भी सुनिश्चित कर कार्रवाई की जाय।
टीम का मानना है कि महिला रिमांड होम में अठारह साल और उससे उपर उम्र की वैसी ही लड़कियां रहती हैं जो विवाह में धोखा खाने के बाद बेघर हैं तथा जो भटकी हुई हैं और अपने परिजनों का नाम पता नहीं बता पातीं अथवा उनके द्वारा अस्वीकार कर दी गयी हैं। इसके अलावा मूक-बधिर युवतियों को भी रखा जाता है जो बेघर हैं।
टीम की मांग है कि सरकार इन युवतियों के सम्पूर्ण पुनर्वास के लिए सिविल सोसायटी सहित हर क्षेत्र से विशेषज्ञों को लेकर विमर्श करे और कंम्प्रिहेंसिव पुनर्वास योजना तैयार करे।
टीम का यह भी कहना है कि महिला रिमांड होम में बजट की इतनी कमी रहती है कि वहां लड़कियां अमानवीय जीवन जीने को विवश हैं। महिलाओं की सुरक्षा और महिला गृहों के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाय।
जारीकर्ता: कंचन बाला/सुधा वर्गीज | with additional inputs from media sources