सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा पर जबरन धर्मांतरण का आराेप कितना सही?

सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा पर जबरन धर्मांतरण का आराेप कितना सही?

‘प्रभात खबर’ अखबार में इस मामले पर कुछ प्रकाश डाला गया है इस मामले काे अनेक नजरिये से देखा जा सकता है:


१-आदिवासी नज़रिए:इस कहानी मे चार पात्र है (क) विधायक भूषण बाड़ा,ईसाई आदिवासी,(ख) अनूप भारती,गैर आदिवासी,हिन्दू धर्मावलंबी,(ग) साेनी मिंज,ईसाई आदिवासी,काेरट मैंरेज अनूप संग पर तलाक़शुदा,(घ)रश्मि एक्का,ईसाई आदिवासी और अनूप की राखी बहन ।

विधायक भूषण पर धर्मांतरण का आराेप लगाने वाली ,[नोट कीजिए] अपने धर्मांतरण का नहीं बल्कि अपने राखी भाई का धर्मांतरण का आराेप लगाने वाली अर्थात् अपने राखी भाई अनूप पर विधायक भूषण द्वारा जबरन धर्मांतरण करना


२-क्या आदिवासी समाज में राखी की मान्यता हैं? हमारी जानकारी में राखी की काेई प्रथा नहीं है, काेई मान्यता नहीं है । फिर एक आदिवासी लड़की क्याे आदिवासी प्रथा से हट कर हिन्दू प्रथा काे अपना रही है ? क्या खुद हिन्दू बन गई है?


३-अनूप द्वारा राखी बहन बनाने बहाने कुछ और बनाने की चाल ताे नही ? अगर रश्मि के काेई भाई नहीं हैं उसे भाई के प्यार की इतनी ही आवश्यकता थी ताे काेई आदिवासी लडका काे भी ताे भाई मान सकती थी काेई आदिवासी लडके नहीं मिले क्या?


४-इस केस में केस कर्त्ता भुगतभाेगी (अनूप धर्म से हिन्दू, जात से गैर आदिवासी) नही है , लेकिन उसके नाम से रश्मि ( धर्म से ईसाई,जात से आदिवासी) – जाे भुगतभाेगी नहीं हैं – केस कर्ता हैं । क्याें ???? क्या अनूप नाबालिग है,गूंगे अनपढ़ हैं,मानसिक रुप से अस्वस्थ हैं जाे किसी और काे केस करवा रहे हैं?


५-आदिवासी स्वभाव से भाेले-भाले हाेते है, इसका ख़ामियाज़ा कालांतर से आदिवासी समाज उठाते आ रहा है। अपनी सभ्यता के प्राचीन काल से अपने भाेलेपन के चलते आदिवासी दबंगाें के द्वारा सताये गये,आस्ट्रिया से, राेहतासगढ से, अपनी ज़मीन से लूटे गये,भगाये गये। हालाँकि समय समय पर कुछ साहसी वीर आदिवासी भी उत्पन्न हुए, जिन्होंने शाेषण के विरुद्ध संघर्ष किया , जैसे बिरसा मुंडा,सिध्दू-कानहू,चाँद भैरव,जतरा टाना भगत,तेलंगा खडिया आदि ।

अपने शासनकाल में अंग्रेज़ाे ने भी देखा कि आदिवासी इतने भाेले हाेते हैं कि उनकाे काेई भी ठग सकता है। उन्होंने देखा ज़मीन के बिना आदिवासी नहीं जी सकते है। इसलिए ज़मीन बचाने के लिये CNT, SPT Act बनाया कि कम से कम आदिवासी कितना भी ठगाये, लेकिन जीने का आधार -ज़मीन – बचा रहे। आज़ादी के बाद संविधान बनानेवालाें ने आदिवासियाें काे बचाने के लिये पाँचवीं अनुसूची बनायी। शासन में ,नीैकरी में अधिकार देने के लिये, स्पेशल रिज़र्वेशन की व्यवस्था की। ये सारी व्यवस्था नहीं हाेती, ताे आज आदिवासी शयाद कहीं नहीं हाेते। सिवाय म्यूज़ियम में, जहां टूरिसट वालाें काे गाइड बताता कि किसी ज़माने में इस धरती मे आदिवासी नामक एक जीव हाेता था, उसी का ये नर कंकाल है जिसे लाेगाें काे बताने के लिये सरकार ने म्यूज़ियम में सजाेकर रखा है।
६ -क़ानून की नजर में विधायक भूषण पर धर्मांतरण का आराेप: क़ानून कैसे प्रमाणित करेगा कि जबरन धर्मांतरण हुआ है? कैसे जबरन धर्मांतरण संभव है? क्या अनूप इतने लाचार,बेबस, इतने गरीब,अनपढ़ हैं कि आत्म रक्षा नही कर सकते है?

भारत में 80% हिन्दू हैं और मात्र २% ईसाई हैं । जब जबरन धर्मांतरण हाे रहा था, वाे भी एक व्यक्ति के द्वारा, उस समय 80% लाेग कहाँ थे? जब जबरन धर्मांतरण हाे रहा था, क्या अनूप काे हाथाे हथकड़ी लगी थी? पैराें मे लाेहे की ज़ंजीर लगी थी? मुँह में ताला लगा था, जाे नहीं चिल्ला सकते थे? आजकल माेबाइल का जमाना है। क्याे उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश काे या रघुवरदास (जिसने धर्मांतरण क़ानून बनाया हैं) काे तत्काल फाेन नहीं किया? क्या विधायक भूषण ने अनूप काे बंधक बना कर ,पेड में बांधकर उसके कपाल में बंदूक़ सटा कर कहा कि हिन्दू धर्म छाेडाे और ईसाई धर्म अपनाओ नहीं ताे अभी खाेपडी उड़ा देंगे ? अगर सच में ऐसा हुआ ताे उस समय उसकी राखी बहन क्या कर रही थी? तुरंत पुलिस काे क्याें खबर नहीं की? क्या अनूप अभी भी विधायक के क़ब्ज़े में है ? या किसी ईसाई पादरी के क़ब्ज़े में हैं ?नहीं भाग सकते हैं ? उसकाे धर पकड़ कर घसीट कर चर्च लिया जा रहा है ?


७ दुनिया के किसी चर्च में भक्तों काे हाथ में कडी पहना कर या बंदूक़ की नाेक से नहीं लाया जाता है सिर्फ़ चर्च की घंटी बजायी जाती हैं। जाे आना चाहता है आता है नहीं आना चाहता है नहीं आता है काेई ज़बरदस्ती नहीं । हाँ, ये देखने काे जरुर मिलता हैं कि लाेग शायद ईसा मसीह की कुछ शिक्षा इन्हें ज़्यादा अच्छा लगता हाेगा । हर ईसाई से पूछा जाना चाहिए कि दुनिया में हजाराे भगवान हैं हजाराे धर्म है जिसकाे पसंद अपना लाे, और चर्च काेई राेक नहीं लगायेगी ,चूकि चर्च की सिखलाई अनुसार, किसी भी भगवान काे या किसी भी धर्म काे मानने के लियं पहला शर्त है सच्ची स्वतंत्रता ।

चर्च मानती है किसी काे भी स्थायी रुप से बल से, छल से, प्रलाेभन से, बंदूक़ की नाेक से, हथकड़ी लगाकर धर्म मानने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है अगर ऐसा किया जाता है, ताे ये धर्म नहीं अधर्म है ।


८-अगर रश्मि सच में ईसाई है ताे ईसाई हाेने के नाते उसे ख़ुशी हाेना चाहिए कि उसका राखी भाई काे ईसाई बनने का ओफर मिल रहा है लेकिन ये ताे उल्टा काम कर रही है ऐसा लगता है एक ईसाई के कंधे पर बंदूक़ रखकर विधायक पर निशाना साधा जा रहा है।
९-मान लिया जाये विधायक ने 2014 में जबरन धर्मांतरण का दबाव बनाया था। अभी ताे वाे स्वतंत्रत है उसकी सरकारी पत्नी साेनी से भी तलाक़ हाे चुका है फिर क्या चीज़ का दबाव, क्या चीज़ का प्रलोभन?
१०-अनूप से अवुराेध है कि अभी भी वाे धर्म परिवर्तन के भारी दबाव में है ताे वाे काेई ईसाई धर्म गुरु से मिले ।विधायक भूषण धर्म गुरु नहीं हैं ।और ज़्यादा ही डर है ताे सिमडेगा या गुमला के हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पुजारी, और ईसाई धर्म के सबसे बड़े पादरी, और साथ में कुछ साक्षी लेकर, गुमला या सिमडेगा के DC और SP से भेंट करे। हमलाेग इसमें मदद करेंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हाे जायेगा । और आप काे,अनूप काे सच्ची शांति मिल सके ।हम किसी भी भगवान काे मानते हाें ,किसी भी धर्म के रास्ते चलते हाें, हम सबकाे तभी ख़ुशी हाेगी कि आपका (अनूप का) ह्रदय,
आपका अंत:करण,आपका मन -दिल जिस भगवान में विश्वास करता है, आपकाे उस भगवान की सेवा पूजा में आनन्द और शाति मिलती है ।


लेखक : फादर सिप्रियन, गुमला, रांची

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