मेरा नाम होशियारचंद है

मेरा नाम होशियारचंद है

मेरे पास ये 100 चिप हैं। नियम के अनुसार मैं 75 से ज्यादा चिप नहीं रख सकता, तो मैंने 73 रखे हुए हैं।
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27 बाजार में बिक रहे हैं। बाजार चलता है, डिमांड सप्लाई पर। मुझे सप्लाई कंट्रोल करनी है।

मेरे मामा, काका, ताऊ सबने आम आदमी बन कर मेरे लिए 15 चिप खरीद कर छुपा लिये। ये इल्लीगल तो है, पर मुझे पकड़ेगा कौन?

तो मार्किट में बचे 12 चिप।

इनमें से 9 चिप को थोक में LIC ने खरीद लिया। खुले बाजार में बचे 4 चिप.. अब ये 4 चिप ही सबसे महत्वपूर्ण हैं।
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मेरा मीडिया, पोलिटिकल और पीआर मैमेजमेंट शानदार है। खूब हल्ला है कि मेरी राजा से साठगांठ है। मेरे चिप की कीमत सांय सांय बढ़ने वाली है।

ये मेरे चिप खरीदने को आम जनता लालायित है। मेरे फूफा, चाचा आम आदमी का वेश बना कर, इन 3 चिप की बार बार खरीदी बिक्री करते हैं।

2 रु का प्लास्टिक का चिप, 10 के भाव देते हैं। लोगो में उसे 12, 13, 15 में खरीदने की होड़ लगती है। मेरे फूफा, चाचा फिर 100 रु के भाव देते हैं। लोगो में अब इस 105, 106, 108 में खरीदने की होड़ लगती है।

फूफा और चाचा अब 500 में खरीदने लगते हैं। जनता 510, 520 में खरीदने को कटने मरने लगती हैं।

ये पहला खेल है।
आम आदमी के कटने का.
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अब चूंकि मैं होशियारचंद हूँ, मेरे पास 73 चिप रखे हैं। शुरू में 2 रुपये के थे, अब मार्केट रेट 510 हो चुका। गुणा करके देखो, मैं वर्ल्ड का दूसरे नम्बर का अमीर हूँ।

अब ये प्लास्टिक चिप लेकर बैंक में जाता हूँ। 20 चिप गिरवी रख कर 300 रुपये प्रति चिप के हिसाब से असली रोकड़ा उठा लेता हूँ। फिर उस पैसे को मामा काका ताऊ को देता हूँ। वो चिप का रेट 1000 कर देते हैं।

20 चिप दूसरे बैंक के पास रख कर 600 का लोन ले लेता हूँ। अगले 20 चिप से 1000 रुपये प्रति चिप लोन लेता हूँ।

जल्दी ही मेरे 2 रुपल्ली वाले सारे चिप बैक के पास होते हैं, और बैंक का सारा असली रुपया मेरे पास।

ये दूसरा खेल है। बैंकों के कटने का
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इतने सारे असली रुपये से मैं पोर्ट, हवाई अड्डे, रेल, गोदाम, बिजलीघर, सीमेंट फैक्ट्री की बोली लगाता हूँ। राजा से मेरी असल मे सेटिंग है। हर सरकारी प्रोपर्टी वह सेल लगाता है, मैं खरीद लेता हूँ।

ये तीसरा खेल है। फर्जी कीमत के नकली चिप वाली प्रॉपर्टी, अब आधे देश की असली प्रोपर्टी मे बदल चुका है। आधा देश मेरा है। मैं ही आधा देश हूँ।

मुझ पर हमला, देश पर हमला है।
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तीन खेल मैं खेलता हूँ।

चौथा, आप खेलते हो। मुझे दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाला, बिल गेट्स, एलन मस्क को टक्कर देने वाला, रोजगार देने वाला, मेहनतकश, ईमानदार बताने के लिए कटते मरते हो।

यह फोकट गर्व का खेल है। यह तुम्हारा प्रिय खेल है। तुम किसी धर्म के सिपाही हो, इसलिए राजा की पार्टी के सिपाही हो, इसलिए मेरे सिपाही हो।

लड़ो। कटो। मरो।
तुम्हारा काम..

मेरा काम- कमाना है।
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कोई अमेरिकन इस पोस्ट में लिखी बातों को अंग्रेजी में लंबी चौड़ी रिपोर्ट बना कर सबको समझा रहा है। इससे मेरे सोने के चिप वापस प्लास्टिक में बदल रहे हैं।

मेरे सिपाहियो! तुम्हें इस तरह की पोल-खोल पोस्ट पर जाकर गालियां देनी है। तुम्हे हर गाली के 2 रुपये मिलेंगे। ये पार्टी के नहीं, मेरे पैसे हैं।

जो असल में तुम्हारे ही पैसे थे। ही ही ही..

तो मेरे देश के नौजवानो!

चुनौती कठिन है। आज तुमको, तुम्हें लूटे और ठगे जाने को डिफेंड करना है। मुझे डिफेंड करना है। मैं कौन?

मैं होशियरचंद हूँ।
और तुम?


…मनीष सिंह शुक्रिया इतनी सरल भाषा में हमें समझाने के लिए 🙏 [झारखंड प्रोग्रेसिव्स समूह से साभार]