क्या भस्मासुर की कहानी की राजनीति में पुनरावृति हो रही है?

क्या भस्मासुर की कहानी की राजनीति में पुनरावृति हो रही है?

वर्ष 2013 में जब केंद्र में संप्रग सरकार थी और उस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी जी थे।

उस समय लालू प्रसाद यादव, जयललिता सहित तमाम सैकड़ों राजनीतिक लोगों को किसी न किसी मामले में न्यायालय द्वारा सजा मिलने पर संसद या विधानसभा की सदस्यता गवानी पड़ी थी।

File photo: Rahul Gandhi 2017

उस समय तत्कालीन कांग्रेस द्वारा ऐसे नेताओं को राहत दिलाने के उद्देश्य से एक अध्यादेश पारित किया गया था , जिससे घोटाले बाजों को कुछ हद तक फायदा होता।

ऐसे अध्यादेश का काफी आलोचना हुई थी और इस आलोचना से प्रभावित होकर तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस अध्यादेश को देश को पूरी तरह बकवास बताते हुए उसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बताया था।

और अंततः सरकार द्वारा वह अध्यादेश पारित नहीं हो पाया। पूरा देश उनके इस क्रांतिकारी कदम को काबिले तारीफ बताया और उनकी काफी तारीफ भी की गई थी।

यदि राहुल गांधी ने ऐसा कदम नहीं उठाया होता तो आज की तारीख में न्यायालय द्वारा 2 वर्षों की सजा होने के बावजूद लोक प्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत लोकसभा की सदस्यता से उन्हें वंचित नहीं होना पड़ता।

ऐसा लग रहा है कि भस्मासुर की कहानी की राजनीति में पुनरावृति हो रही है। राहुल गांधी के द्वारा उस समय लिया गया निर्णय आज उन्हीं पर भारी पड़ रहा है और इसमें वर्तमान सरकार का कोई योगदान नहीं है।


राहुल गांधी जी ऐसे प्रधानमंत्री के परिवार से आते हैं , जिन्होंने देश एकता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश के प्रति उनके परिवार एवं कांग्रेस पार्टी का योगदान और अभी तक उनके परिवार पर लगे अनेकों आरोपों को वर्तमान केंद्र की सरकार और न्यायालय द्वारा साबित नहीं कर पाने की स्थिति में, और देश को मजबूत विपक्ष, लोकतंत्र के हित में रहने के लिए, मेरा न्यायालय के न्यायाधीशों से विशेष अनुरोध है कि उनके प्रति विशेष नरमी बरती जाए।

देश को ऐसे नौजवान ,बहादुर एवं कर्मठ नेता की भी आवश्यकता है। यह नौजवान लालू यादव , मुलायम सिंह यादव, ममता बनर्जी , केजरीवाल और शेख अब्दुल्ला जैसे राजनीतिक नेताओं के परिवार से काफी बेहतर है।

लोकतंत्र में सरकार बनती है, गिरती हैं लेकिन देश को अच्छे गतिशील विपक्ष की भी आवश्यकता है।


इस मुद्दे पर संपूर्ण विपक्ष द्वारा इसे लोकतंत्र पर खतरा बताया जा रहा है और वे सभी गोल बंद भी हो रहे हैं. इस कदम को वास्तविक मुद्दे से जनता को भटकाने की कोशिश की जा रही है, जिसे देश हित में नहीं कहा जा सकता। संविधान की दुहाई देने वाले सभी राजनीतिक दल के नेताओं से आग्रह है कि कृपया वे जनता को गुमराह नहीं करें।

अजित कुमार सिन्हा

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