मूक जानवरों में भी भावनाएं होती हैं, क्या हममें भी ?

मूक जानवरों में भी भावनाएं होती हैं, क्या हममें भी ?

सड़कों पर रहने वाले पशु अक्सर हमसे कुछ कहते हैं।
वे कहतें हैं अपने मन की इच्छा, वे बांटतें हैं अपनी मन की व्यथा, वे चाहते हैं हमसे थोड़ा सा स्नेह और करुणा।
और इसके बदले में वह हमें देतें हैं बहुत सारी वफ़ादारी।


सड़कों पर रहने वाले पशु जिन्हें अक्सर आवारा या बेसहारा पशु भी कहा जाता है। ये पशु जिनमें कुत्ते, बिल्ली, गाय और अन्य जानवर शामिल है।

आवारा जानवरों की संख्या?

भारत में आवारा जानवरों की सटीक संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन अनुमान है कि लाखों की संख्या में आवारा कुत्ते, बिल्लियाँ और मवेशी हैं। 2019 की पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में 53.578 करोड़ पशुधन हैं, जिनमें से कुछ आवारा हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते और 91 लाख आवारा बिल्लियाँ हैं।

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, आवारा मवेशियों की समस्या भी है, खासकर गायों की।
वो अक्सर निरंतर संघर्ष करते रहते हैं अपने जीवन के लिए। फिर चाहे वर्षा ऋतु हो या शरद का मौसम, चाहे गर्मी हो या सर्दी, उन्हें निरंतर कष्ट का सामना करना पड़ता है। उनका कोई घर नहीं है, बस इसलिए वे अकेले बेसहारा भटकते रहते हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 80 मिलियन बेघर कुत्ते बिल्लियाँ और हैं, जो सड़कों पर रहते हैं।
इतना ही नहीं, उन वेचारों को चमड़े से सामान बनाने वाली कंपनियां जबरदस्ती उठा कर ले जाती है। और उनके चमड़े का उपयोग वह अपने स्वार्थ के लिए करती है। उनके दर्द और उनकी चीखें कोई सुनने वाला नहीं।


हिन्दुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में चमड़े के बने जूते, बेल्ट और टोपी की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन इन्हें इस्तेमाल करने वाले यह नहीं जानते कि चमड़ा निकालने के लिये जानवरों की हड्डियों के जोडों को चटकाया जाता है और उन्हें उल्टा लटका कर उनकी गर्दन काट दी जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चमड़े के लिये दुनिया भर में हर सेकेंड 70 से अधिक गाय, भैंस, सुअर, भेड़ और अन्य जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।

पशुओं की सुरक्षा के लिए कोई कानून


सरकार भी कहां पशुओं की सुरक्षा के लिए कोई कानून बनाता है? हर रोज़ सड़क दुर्घटना में न जाने कितने पशुओं की दर्दनाक मौत होती है। कभी कोई कार टक्कर मार देता है तो कभी कोई बस, उन वेचारों को अस्पताल ले जाने के लिए यहां किसके पास समय है? लासें पड़ी रहती है उनकी सड़को पर और उसे उठाने वाला कोई नहीं। उन नन्हे पशुओं को सड़क पर ना कोई भोजन पूछता है और ना कोई पानी। उल्टा उन्हें दूतकार कर भगाया जाता है जैसे वह कोई अछूत हो।


सड़क पर गंदगी के कारण पशुओं को बहुत सारे बीमारी और संक्रमण का खतरा है। अक्सर उन्हें एक्सीडेंट से उनको चोट भी लग जाती है लेकिन फिर भी वह बिना किसी इलाज के रह जाते हैं। न उन पशुओं का यहां कोई दोस्त है और ना कोई हितैसी।
लोगों का यह कर्तव्य है कि वह पशुओं के लिए आश्रय का निर्माण करें। उनके उचित भोजन, साफ़ पानी, स्वस्थ और सुरक्षा की व्यवस्था करें।

भारत में आवारा जानवरों की सुरक्षा के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं। इनमे से कुछ मुख्य हैं: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI), कई गैर सरकारी संगठन (NGO) जैसे कि Four Paws International, और विभिन्न आश्रय स्थल जैसे NGO शामिल है।

हर व्यक्ति को चाहिए कि वह पशुओं से दोस्ती करें और उन्हें प्यार से समझने की कोशिश करें। सड़को पर रहने वाले पशुओं की समस्या एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। लोगों में पशुओं के प्रति सहानुभूति और जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है। अखबारों को लेख छापने और टीवी में विज्ञापन देने की आवश्यकता है।
हर मनुष्य में करूणा पैदा करने की आवश्यकता है जिससे वह पशुओं को अपनी तरह समान जीव के रूप में देख सकें और उनका सम्मान कर सकें।

यह लेख सेंट सैक्सियर कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी की छात्रा तनिषा कुमारी द्वारा लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार उनके अपने हैं और न्यूज़नेट वन के संपादक और स्टाफ के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

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