केंद्रीय जाँच एजेंसी (यानी सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट की वकील आनंद ग्रोवर और भारत की भूतपूर्व एडिशनल सॉलिसटर जनरल इंदिरा जयसिंह के दिल्ली और मुंबई स्थित घरों पर छापेमारी की है।
आरोप है कि इन्होंने दिल्ली स्थित एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव के लिए विदेशी चंदे के नियमों का उल्लंघन किया है। दिल्ली में सीबीआई ने 54-निज़ामुद्दीन ईस्ट स्थित आवास पर और सी-6 निज़ामुद्दीन ईस्ट में लॉयर्स कलेक्टिव के दफ़्तर पर छापेमारी की है।
लॉयर्स कलेक्टिव एक ऐसा संस्था है जो मानव अधिकार के लिए निरंतर आवाज़ उठाते है। 377 कानून के खिलाफ और एड्स पीड़ित लोगों के हित में इस संस्था बहत्रीण योगदान दिया है, और लोगों को राहत दिलाने में काफी सफल हुई है।
अधिकारियों ने इस रेड के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। आनंद ग्रोवर इंदिरा जयसिंह के पति हैं। इंदिरा जयसिंह भारत की एडिशनल सॉलिसटर जनरल रही हैं। कहा जा रहा है कि इनके एनजीओ ने फॉरन कंट्रिब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट का उल्लंघन किया है।
लॉयर्स कलेक्टिव ने इन सारे आरोपों को ख़ारिज किया है। पिछले महीने सीबीआई ने ग्रोवर और उनके एनजीओ के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था। ग्रोवर इस एनजीओ के निदेशक हैं और उनकी पत्नी इंदिरा जय सिंह ट्रस्टी और सचिव हैं।
गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद सीबीआई ने मुक़दमा दर्ज किया था। लॉयर्स कलेक्टिव पर 2006-07 और 2014-15 के बीच 32.39 करोड़ रुपए से ज़्यादा के विदेशी चंदे में अनियमितता के आरोप हैं.
गृह मंत्रालय का कहना है कि इस एनजीओ का एफ़सीआरए रजिस्ट्रेशन 2016 में निलंबित कर दिया गया था क्योंकि मंत्रालय ने दावा किया था कि अनियमितता के आरोपों पर इनका जवाब ‘संतोषजनक’ नहीं था।
लॉयर्स कलेक्टिव का कहना है कि मुक़दमा तथ्यों और क़ानून के हिसाब से दर्ज नहीं किया गया है, बल्कि टारगेट करने के लिए किया गया है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस रेड पर ट्वीट कर कहा है, ”अपने एनजीओ के लिए विदेशी चंदे का दुरुपयोग के आरोप में इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर को घर पर सीबीआई की रेड पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। सरकारी एजेंसियों की ओर से रेड और मुक़दमा को अब विपक्षियों को प्रताड़ित करने का तरीक़ा बना लिया गया है। ”